यूपी के झांसी मेडिकल का पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट राज्य के टॉप पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में से एक है। कई दिग्गज बाल रोग विशेषज्ञ झांसी के इस मेडिकल कॉलेज में तैनात रह चुके हैं। इनमें विश्वस्तरीय बाल रोग डॉ. रमेश कुमार पंडिता भी शामिल हैं।
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डॉ. रमेश कुमार की ही निगरानी में महारानी लक्ष्मीबाई बाई मेडिकल कॉलेज झांसी में करीब 35 साल पहले पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की शुरुआत हुई थी। इसके अलावा डॉ. शीला लौंगिया, डॉ.अनिल कौशिक, डॉ.आरएस शेट्टी जैसे दिग्गज पीडियाट्रिक डॉक्टर भी यहां सेवाएं दे चुके हैं।
मौजूदा समय के प्रमुख डॉ. ओम शंकर चौरसिया खुद नेशनल पीडियाट्रिक बॉडी के मेंबर हैं। 3 दशक से ज्यादा समय बीत गया, ये डिपार्टमेंट नौनिहालों का क्वालिटी ट्रीटमेंट कर रहा। बुंदेलखंड के इस इलाके में जन्म लेने वाले 10% तक नवजात बच्चों को सांस लेने की समस्या होती है। बावजूद इसके हाल के वर्षों की कोशिश रंग लाई है और शिशु मृत्युदर में कमी देखी जा रही है।
ये कहना है, प्रदेश के टॉप बाल रोग विशेषज्ञ और यूपी पीडियाट्रिक एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. संजय निरंजन का। उन्होंने झांसी मेडिकल कॉलेज के NICU में आग की तबाही से बर्बाद हुए परिजनों को संवेदना देते हुए NICU की अहमियत के बारे में भी बताया।
कैंपस@लखनऊ सीरीज के 46वें एपिसोड में यूपी पीडियाट्रिक एसोसिएशन के प्रमुख और प्रदेश के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय निरंजन से खास बातचीत…
डॉ. संजय निरंजन कहते हैं कि झांसी की घटना बेहद झकझोरने वाली है। इससे पहले भी कई बार अस्पतालों के ICU और OT में आग का तांडव देखने को मिला है। पर अब जरूरत है कि नई टेक्नोलॉजी के जरिए ऐसे हादसों पर लगाम लगाई जाए।
इसके लिए सभी एक्सपर्ट्स और रिसर्च साइंटिस्ट को आगे आकर पहल करनी पड़ेगी। हाईएंड टेक्नोलॉजी के जरिए कुछ ऐसा किए जा सकता है कि यदि आग लगे तो सिर्फ हूटर तक या अलर्ट जारी करने तक के दायरे में न आकर पाउडर फॉर्म या फिर किसी अन्य फॉर्म में फायर एक्सटिंग्विशर रिलीज किया जाना चाहिए।
इन उपायों से आग की घटनाओं को प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है..
- NICU में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और उनके चार्जिंग पॉइंट जैसी चीजों पर पूरी तरह से रोक होनी चाहिए।
- NICU में नवजात बच्चों के इलाज में काम आने वाले वेंटिलेटर और वार्नर के अलावा सभी गैर जरूरी सामानों को नहीं रखा जाना चाहिए।
- NICU की वायरिंग के नॉर्म को स्ट्रिक्टली फॉलो किया जाना चाहिए। रेगुलर इलेक्ट्रिकल ऑडिट होना चाहिए।
- मरीज के रिलेटिव या स्टॉफ को अंदर कोई गैर जरूरी वस्तु ले जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। हालांकि ये नियम पहले से ही लागू है, पर सख्ती के साथ पालन भी जरूरी है।
- आमतौर पर इंफेक्शन से बचाव के लिए NICU में एंट्री एग्जिट एक डोर से रखा जाता है, पर आपातकालीन द्वार के तौर पर दूसरा होना भी जरूरी। साथ ही प्रॉपर वेंटिलेशन भी बेहद जरूरी है।
- आग से रोकथाम यानी fire extinguisher से जुड़ी ट्रेनिंग हर किसी को दी जानी चाहिए।
- मेडिकल कॉलेजों और बड़े अस्पतालों के लिए डेडिकेटेड पॉवर लाइन से कनेक्शन देने के साथ ही, ट्रांसफार्मर सहित सभी जरूरी इक्विपमेंट इंस्टॉल किया जाना चाहिए। साथ ही इनका रेगुलर मेंटेनेंस जरूरी।