ये तस्वीर मास्टर प्लान रोड नंबर-8 पर बने नाले की है। जिसके निर्माण में अनियमितता मिली है।
मास्टर प्लान रोड नंबर आठ पर 900 मीटर लंबा नाला बनाने में अनियमितता सामने आई है। नोएडा प्राधिकरण की थर्ड पार्टी कंपनी फोर ट्रेस की आपत्ति के बाद भी वर्क सर्किल ने निर्माण कंपनी चौधरी एसोशिएट को 90 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। जबकि नाला निर्माण में बहुत
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ऐसे में प्राधिकरण सीईओ डा लोकेश एम ने नाला बनाने के कार्य पर रोक लगाते हुए निर्माण कंपनी चौधरी एसोशिएट को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। साथ ही पूरे प्रकरण पर तीन सदस्य कमेटी का गठन कर जांच के आदेश दे दिए है। जिसके बाद लखनऊ तक इस प्रकरण का हल्ला मच गया है। इसके बाद वर्क सर्किल के अधिकारियों पर जांच और सस्पैंशन की तलवार लटक आई है।
निर्माण के साथ ही जगह-जगह से टूट रहा नाला
प्राधिकरण के सीईओ डा लोकेश एम ने इस मामले में तीन सदस्य कमेटी गठित की है, जो प्रकरण की जांच कर रही है, जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करनी जा रही है। ओएसडी महेंद्र प्रसाद ने बताया कि तय समय में कंपनी ने नाला निर्माण कार्य पूरा नहीं किया, जुर्माना के बाद टाइम एक्सटेंशन दिया गया। लेकिन स्थिति यथा रही। इसलिए कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। घटिया निर्माण पर थर्ड पार्टी की आपत्ति के बावजूद वर्क सर्किल ने गलत एमबी भरकर भुगतान कर दिया, जांच चल रही है, दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
नाले के निर्माण की गुणवत्ता पर उठा सवाल
42 प्रतिशत कम पर हासिल किया टेंडर दिल्ली की ओर से आने वाला मास्टर प्लान सड़क नंबर आठ पर नाला का बनाने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने 31 मार्च 2022 को निर्माण चौधरी एसोशिएट के साथ एग्रीमेंट किया था। सेक्टर-8 व 10 के बाहर नाला बनाने के लिए करीब ढ़ाई करोड़ रुपए का टेंडर करीब 42 प्रतिशत से कम दर पर निर्माण करने के लिए कंपनी ने टेंडर हासिल था।
नोएडा प्राधिकरण का प्रशासनिक खंड का कार्यालय
तय समय में निर्माण पूरा नहीं, लगाया 5 लाख का जुर्माना नाला बनाने का काम 21 सितंबर 2023 को कार्य पूरा करना था। कार्य समय के तहत पूरा नहीं किया गया। 10 अगस्त 2024 तक पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाकार कंपनी को लास्ट बार टाइम एक्सटेंशन दिया गया। 31 अक्टूबर तक निर्माण पूरा नहीं हुआ, उल्टा जेई स्तर पर एमबी में गलत जानकारी भरकर करीब 40 प्रतिशत काम पूरा करने का पूरा भुगतान कर दिया। शिकायत पर ओएसडी महेंद्र प्रसाद ने मौका मुआयना किया, जिसमें घटिया निर्माण की पुष्टि हुई, क्योंकि जगह जगह निर्माण के दौरान ही नाला क्षतिग्रस्त पाया गया।
प्राथमिक जांच में सामने आया सच निर्माण कंपनी को होरिजेंटल 200-200 एमएम पर सरिया लगानी थी, लेकिन मौके पर 400 से 500 एमएम पाई गई। जबकि वर्टिकल सरिया 150-150 एमएम पर लगनी थी, जो मानक के विपरीत मिली। इसलिए सरिया आरसीसी को पकड़ नहीं रही थी। नाला लगातार टूट रहा था। ऐसे में प्राधिकरण ने तत्काल निर्माण कंपनी चौधरी एसोशिएट की सिक्योरिटी मनी के रूप में जमा ईएमडी को जब्त कर ब्लैक लिस्ट कर दिया। साथ ही नाला निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच किए जाने की स्वीकृति दे दी।