दवा फैक्ट्रियों में 48 घंटे तक कार्यवाही चली
आगरा में पशुओं की नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्रियों पर 48 घंटे तक कार्यवाही चली। दोनों फैक्ट्रियों में मिली दवाइयों की कीमत लगभग 4.5 करोड़ रुपए है। 49 दवाओं के सैंपल लिए गए हैं। दोनों फैक्ट्रियों में 434 तरह की दवाएं मिली हैं। दवाओं की मात्री इतनी ज्याद
मंगलवार को की थी छापेमारी पुलिस और एसओजी ने सूचना मिलने पर शास्त्रीपुरम में संचालित दो फैक्ट्रियां पर छापामारी की। जिनमें पशुओं की नकली दवाएं बनाई जाती हैं। पुलिस को पूछताछ में संचालक अश्वनी गुप्ता ने बताया कि डेढ़ साल पहले शारिक नाम के व्यक्ति से मैरिज होम किराए पर लिया था। यहां वेटनोसेफ रिसर्च मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से फैक्ट्री शुरू की। फैक्ट्री में पशुओं के बुखार, पेट दर्द, खुरपका, एंटी बायोटिक दवाएं बनाई जाती थीं। इन दवाइयों को एटा, मैनपुरी, राजस्थान, अलीगढ़, कानपुर में सप्लाई किया जाता था। साला सौरभ दुबे भी मदद करता है। 11 महीने पहले दीपक सिंह नाम के व्यक्ति का घर किराए पर लेकर दूसरी फैक्ट्री नोवीटास लाइफ साइंसेज के नाम से खोली। धीरे-धीरे क्षेत्र का विस्तार करते हुए दवाइयों को गुजरात और पंजाब तक बेचना शुरू किया। विदेशों में दवाएं अफगानिस्तान, रशिया तुर्कमान, अफ्रीका अंगोला तक जाती हैं।
7 जिलों के ड्रग विभाग के अधिकारी बुलाए गए थे
7 जिलों से बुलाए ड्रग विभाग के अधिकारी दोनों फैक्ट्रियों में दवाओं की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि आगरा, अलीगढ़ और कानपुर मंडल के 7 जिलों के ड्रग विभाग के अधिकारियों को बुलाया गया था। सभी दवाओं के बैच नंबर, मैन्यूफैक्चरर कंपनी आदि रिकॉर्ड को दर्ज किया गया है। अश्वनी गु्प्ता की फैक्ट्री से 234 और सौरभ दुबे की फैक्ट्री से 200 तरह की दवाएं मिली हैं। अश्वनी गुप्ता की फैक्ट्री से 25 और सौरभ दुबे की फैक्ट्री से 24 तरह की दवाओं के सैंपल लिए गए हैं।
दिल्ली से खरीदी थीं मशीनें पूछताछ में अश्वनी ने बताया कि दिल्ली की एकमाटेक कंपनी से नकली दवा बनाने की मशीनें खरीदी थीं। फैक्ट्री में पेट में कीड़े, दर्द बुखार, कीड़े, खुजली, एंटी बायोटिक दवाएं बन रही थीं। एक फैक्ट्री से 23 और दूसरी से 20 दवाओं के सैंपल लिए गए हैं।
434 तरह की दवाएं दोनों फैक्ट्रियों से मिली हैं
डिस्ट्रीब्यूटर तय करते थे दाम पूछताछ में अश्वनी और सौरभ ने पुलिस को बताया है कि नकली दवा फैक्ट्री में 100 रुपए में बनती थी, जो बाजार में 1100 रुपए में बिकती थी। विदेशों में माल मुंबई के डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से भेजा जाता था। वही रेट करता था। जिस देश में माल जा रहा है, वहीं के हिसाब से रेट पैकेट पर लगा दिए जाते थे। अफगानिस्तान, अफ्रीका, रशिया में कुंच ऑक्सल प्लस, लंदन डेकस्टार, ब्लोटासैक गोल्ड दवाएं भेजी जाती थी, जो फैक्ट्री से बरामद की गई है। टेबलेट और सीरप 50 से 100 रुपए में बन जाते हैं। इन्हें 10 से 11 गुना अधिक रेट पर बाजार में बेचा जाता था। एजेंट ऑर्डर देते थे।