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यूपी में शुरू होगा सड़क सुरक्षा मित्र कार्यक्रम, 28 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत युवा निभाएंगे ‘फ्रंटलाइन वॉलंटियर’ की भूमिका।

सड़क हादसों को कम करने और लोगों में सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की पहल ‘सड़क सुरक्षा मित्र’ योजना में अब उत्तर प्रदेश भी सक्रिय भूमिका निभाने जा रहा है। इस संबंध में परिवहन आयुक्त ने सभी जिलाधिकारियों को समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

100 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट, यूपी के 28 जिले शामिल

यह योजना सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय के सहयोग से शुरू हो रही है। पहले चरण में देशभर के 100 जिलों को चुना गया है, जिनमें उत्तर प्रदेश के 28 जिले शामिल हैं। लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, आगरा, गोरखपुर और गौतमबुद्धनगर जैसे बड़े जिले भी इनमें शामिल हैं।

युवा बनेंगे ‘फ्रंटलाइन वॉलंटियर’

कार्यक्रम के तहत 18 से 28 वर्ष के ऐसे युवाओं का चयन किया जाएगा जिन पर कोई लंबित ट्रैफिक चालान न हो। इनमें से सामान्य स्वयंसेवकों को एक सप्ताह का प्रशिक्षण मिलेगा, जिसमें प्राथमिक उपचार (First Aid) की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। वहीं, सिविल इंजीनियरिंग स्नातकों को 15 दिन का विशेष प्रशिक्षण मिलेगा, जिसमें सड़क सुरक्षा ऑडिट और ब्लैक-स्पॉट की पहचान पर ध्यान दिया जाएगा। इन वॉलंटियर को क्रैश-सीन समन्वय, रोड सेफ्टी ऑडिट और जागरूकता अभियानों की जिम्मेदारी दी जाएगी।

तकनीक और डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल

चुने गए स्वयंसेवकों को eDAR, संजया और फील्ड परसेप्शन सर्वे जैसे डिजिटल टूल्स का उपयोग करना अनिवार्य होगा। बेहतर काम करने वाले युवाओं को सर्टिफिकेट और अवॉर्ड भी प्रदान किए जाएंगे।

निगरानी की जिम्मेदारी जिला सड़क सुरक्षा समिति को

पूरे कार्यक्रम की निगरानी जिला सड़क सुरक्षा समिति (DRSC) के माध्यम से होगी। इसके लिए जिलाधिकारियों को MYBharat प्लेटफॉर्म पर ऑनबोर्ड कर मासिक KPI आधारित समीक्षा सुनिश्चित करने को कहा गया है। मंत्रालय ने T1 से T12 तक की समय-सीमा तय की है, जिसमें डीएम की ऑनबोर्डिंग, बैठकें, प्रशिक्षण, जनजागरूकता और रिपोर्टिंग जैसी गतिविधियां शामिल होंगी।

परिवहन आयुक्त की टिप्पणी

परिवहन आयुक्त बी. एन. सिंह ने कहा कि ‘सड़क सुरक्षा मित्र’ युवाओं की ऊर्जा को सड़क सुरक्षा के ठोस नतीजों में बदलने का प्रयास है। प्रदेश का लक्ष्य है कि सभी जिले समयबद्ध तरीके से क्रैश-सीन मैनेजमेंट, ब्लैक-स्पॉट ऑडिट और जागरूकता कार्यक्रमों को लागू करें, ताकि सड़क हादसों में कमी आए और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।’

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