उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से उन पर नक्सलवाद का समर्थन करने के आरोप को लेकर बहस को आगे बढ़ाने से इनकार किया। उनका कहना है कि अमित शाह उनके खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
रेड्डी ने उपराष्ट्रपति पद को राजनीतिक के बजाय उच्च संवैधानिक पद बताते हुए सभी दलों से अपील की कि वे गुण-दोष के आधार पर उनकी उम्मीदवारी पर गौर करें। लखनऊ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मौजूदगी में संवाददाता सम्मेलन के दौरान रेड्डी ने कहा, ‘‘मैं इस विषय पर पिछले चार दिन से लगातार बोल रहा हूं। अब मेरे पास कहने के लिए कुछ नया नहीं है। वह (शाह) एक नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं पहले ही अपनी प्रतिक्रिया दे चुका हूं और जो कहना था, कह चुका हूं। मैं इस बहस को आगे नहीं बढ़ाना चाहता। मैं हमेशा संविधान की प्रस्तावना की मूल भावना के साथ खड़ा रहा हूं और आगे भी खड़ा रहूंगा।”
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह बताने की जरूरत नहीं है कि मैं यहां क्यों हूं। मैं उत्तर प्रदेश से संसद के माननीय सदस्यों का सहयोग प्राप्त करने आया हूं। मेरा मानना है कि उपराष्ट्रपति, जो राष्ट्रपति के बाद देश का दूसरा सर्वोच्च पद है, वह कोई राजनीतिक पद नहीं, बल्कि एक उच्च संवैधानिक पद है।”
रेड्डी ने कहा, ‘‘कुछ लोग पूछते हैं कि मैंने राजनीति में कदम क्यों रखा। मैंने जवाब दिया कि मैंने राजनीति में कदम नहीं रखा, बल्कि यह एक संवैधानिक पद है, जिस पर पहले दार्शनिक, राष्ट्रनेता और शिक्षाविद् रहे हैं—जैसे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. जाकिर हुसैन, डॉ. के. आर. नारायणन और बाद में हामिद अंसारी। ये सभी मेरे लिए प्रेरणा स्रोत हैं। मुझे इस पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया है, इसके लिए मैं सभी विपक्षी दलों का आभारी हूं।”
रेड्डी ने कहा, ‘‘प्रतिपक्ष ने मुझ पर विश्वास जताया है और इसके लिए मैं आभारी हूं। खुशी है कि वे लोग भी मेरा समर्थन कर रहे हैं जो इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।”
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की, ‘‘मैं सभी दलों के सदस्यों से आग्रह करता हूं कि वे दलगत भावना से ऊपर उठकर मेरी उम्मीदवारी पर गुण-दोष के आधार पर विचार करें।”