गोरखपुर: इलाज से बदला ‘रावण’, जेल में करता है पूजा-पाठ और पढ़ता है रामायण
गोरखपुर के झंगहा इलाके का 25 वर्षीय रामदयाल मौर्य उर्फ रावण कभी अपने ही दादा-दादी और दादा के भाई की हत्या कर पूरे जिले में सनसनी फैला चुका था। लेकिन अब जेल में इलाज और काउंसलिंग के बाद उसका व्यवहार पूरी तरह बदल चुका है।
पहले करता था हत्याएं, अब पढ़ता है धार्मिक ग्रंथ
रामदयाल को जेल में लोग रावण कहकर पुकारते हैं। वह अब हर सुबह पूजा-पाठ करता है, रामायण और गीता पढ़ता है और बंदियों का हिसाब-किताब लिखने में भी मदद करता है। कैदियों और अधिकारियों से मिलने पर वह बड़ों के पैर छूता है। उसका कहना है कि धार्मिक पुस्तकों को पढ़कर वह अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहता है।
मानसिक बीमारी ने ली थी खतरनाक शक्ल
गांव में जब रामदयाल के शुरुआती असामान्य लक्षण सामने आए थे, तब लोग इसे भूत-प्रेत का असर समझकर झाड़-फूंक कराते रहे। सही इलाज न मिलने की वजह से उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ती गई और उसने 28 फरवरी 2025 को अपने दादा, दादी और दादा के भाई की फावड़े से हत्या कर दी। वारदात के बाद वह शवों के पास बैठा रहा और पूछताछ में खुद को रावण बताने लगा।
जेल में मिला सही इलाज
गिरफ्तारी के बाद जेल में उसका मानसिक रोग विशेषज्ञों से इलाज शुरू हुआ। डॉक्टरों का कहना है कि अगर शुरू से ही उसका उपचार कराया जाता तो शायद इतनी बड़ी घटना कभी नहीं होती। अब नियमित दवा और काउंसलिंग से उसका व्यवहार सामान्य हो गया है और वह जेल प्रशासन की मदद भी करता है।
डॉक्टर की सलाह
मनोचिकित्सक बताते हैं कि मानसिक रोग के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है। जैसे व्यवहार में अचानक बदलाव, चुप्पी या जरूरत से ज्यादा बोलना, कामकाज से दूरी या गुस्सैल रवैया। ऐसे संकेत मिलने पर तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए, वरना स्थिति गंभीर हो सकती है।