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खड़ी ढलानों और बर्फीली हवाओं के बावजूद… त्रिशक्ति वॉरियर्स कोर ने 17,000 फीट ऊंचाई पर साहस और ताकत का परिचय दिया।

भारतीय सेना के सिलीगुड़ी स्थित त्रिशक्ति वॉरियर्स कोर के जवानों ने सिक्किम के चुनौतीपूर्ण इलाकों में अपना ट्रैक मार्च सफलतापूर्वक पूरा किया। यह छह दिवसीय ट्रैक मार्च 9 सितंबर से शुरू होकर 15 सितंबर को समाप्त हुआ। इस दौरान जवानों ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पूरे युद्ध भार के साथ कठिन परिस्थितियों का सामना किया।

छह दिन और रातों तक चले इस ट्रैक मार्च में सैनिकों ने खड़ी ढलानों, बर्फीली हवाओं और दुर्गम रास्तों को पार किया। इस अभ्यास ने उनकी शारीरिक क्षमता, मानसिक मजबूती और टीम भावना की परीक्षा ली।

ट्रैक मार्च की मुख्य विशेषताएं

पूर्ण युद्ध भार
प्रत्येक सैनिक ने अपने परिचालन भार के साथ इस ट्रैक मार्च में हिस्सा लिया। इसमें हथियार, उपकरण और आवश्यक सामग्री शामिल थी, जो ऊंचाई वाले चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में युद्ध जैसी परिस्थितियों की नकल करता है।

चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां
मार्च के दौरान जवानों ने कठिन ढलानों, बर्फीली हवाओं और पथरीले रास्तों का सामना किया, जिससे उनकी सहनशक्ति और धैर्य की परख हुई।

मानवीय धैर्य और अनुकूलनशीलता
अभ्यास के दौरान सेना ने आधुनिक तकनीक, ड्रोन और स्मार्ट लॉजिस्टिक्स को भी शामिल किया। ऐसे अभ्यास यह साबित करते हैं कि सीमित संसाधनों और कठिन हालात में भी भारतीय सैनिक अपने लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम हैं, जहां तकनीक से ज्यादा मानव सहनशक्ति और अनुकूलनशीलता की अहमियत होती है।

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