62 वर्षों की सेवा के बाद भारतीय वायुसेना ने मिग-21 फाइटर जेट को अंतिम विदाई दी। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने मिग-21 में आखिरी उड़ान भरी और इसके फॉर्म-700 यानी लॉग-बुक को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंप दिया। अब मिग-21 के पायलट देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा स्वदेशी एलसीए तेजस के जरिए करेंगे।
चंडीगढ़ एयरबेस पर आयोजित रिटायरमेंट सेरेमनी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिग-21 की तारीफ करते हुए कहा कि यह विमान न केवल इंडियन एयरफोर्स के इतिहास का अहम हिस्सा है, बल्कि भारत और रूस के गहरे संबंधों का प्रतीक भी है। उन्होंने बताया कि दुनिया में 11,500 से अधिक मिग-21 विमान बने, जिनमें लगभग 850 विमान भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहे।
मिग-21 की खासियतों और योगदान में शामिल हैं:
1963 में वायुसेना में शामिल हुआ, देश का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट
1965 और 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई, कारगिल युद्ध में टाइगर हिल पर बमबारी
1999 में पाकिस्तान के अटलांटिक टोही विमान को मार गिराया
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नाल एयरबेस पर अलर्ट पर रखा गया
कुल 800 मिग-21 ऑपरेट किए गए, जिनमें 200 रूस से और 600 भारत में एचएएल ने बनाए
800 में से 400 मिग-21 क्रैश हुए, जिनमें 170 फाइटर पायलट शहीद हुए, इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ कहा गया
स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क-1A अब मिग-21 को रिप्लेस करेंगे
रिटायरमेंट सेरेमनी में वायुसेना प्रमुख एपी सिंह के साथ स्क्वाड्रन लीडर प्रिया और एलसीए-तेजस विमानों ने भी उड़ान भरी। चंडीगढ़ में यह सेरेमनी इसलिए आयोजित की गई क्योंकि इसी बेस पर 1963 में मिग-21 ने पहली बार लैंड किया था और पहली स्क्वाड्रन तैनात हुई थी।