केंद्र सरकार ने प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा, कल्याण और विदेशों में रोजगार के अवसरों को सुव्यवस्थित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ‘ओवरसीज मोबिलिटी विधेयक, 2025’ संसद में पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है. यह विधेयक इमिग्रेशन एक्ट, 1983 की जगह लेगा और भारतीय नागरिकों को विदेशों में काम करने और बसने को लेकर एक व्यापक और आधुनिक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा.
विदेश मंत्रालय ने 7 नवंबर तक इस विधेयक पर जनता और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून व्यावहारिक, समावेशी और प्रभावी हो. विधेयक का मुख्य उद्देश्य उन भारतीय नागरिकों की रक्षा करना है, जिन्हें झूठे वादों या फर्जी एजेंटों की ओर से विदेशों में ले जाया जाता है.
भारतीयों की वैश्विक आवागमन में सहायक
इस विधेयक के जरिए सरकार ओवरसीज मोबिलिटी एंड वेलफेयर काउंसिल (Overseas Mobility and Welfare Council) की स्थापना करेगी, जो विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय स्थापित करेगी और प्रवासन नीतियों को एकीकृत रूप से लागू करने में सहायक होगी. बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि विदेशों में रोजगार की संभावनाओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत नियामक ढांचा तैयार किया जाएगा.
साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समझौतों के पालन की निगरानी, डेटा-आधारित नीति निर्माण और श्रम अध्ययन के जरिए नीतियों को अधिक सटीक और प्रभावी बनाने पर जोर दिया गया है. सरकार का मानना है कि यह विधेयक भारतीयों के सुरक्षित और सम्मानजनक वैश्विक गतिशीलता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा.
‘ओवरसीज मोबिलिटी विधेयक, 2025’ की विशेषताएं
1. इसमें एक विदेशी गतिशीलता और कल्याण परिषद की स्थापना का प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य नीति प्रबंधन के संबंध में मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है.
2. विधेयक विदेशों में अवसरों को बढ़ावा देने और कमजोर वर्गों के संरक्षण व कल्याण के लिए एक नियामक ढांचा स्थापित करने के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है.
3. विधेयक प्रवासन और गतिशीलता पर अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के प्रशासन और कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक तंत्र का निर्माण करता है.
4. यह श्रम अध्ययनों और विभिन्न मंत्रालयों व विभागों के साथ समन्वित कार्रवाइयों के आधार पर ठीक तरह से डेटा-आधारित नीति प्रबंधन का निर्माण करता है.