चीन ने कुछ भारतीय कंपनियों को रेअर अर्थ मिनरल्स के आयात के लिए लाइसेंस प्रदान किए हैं. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी. भारत को दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति पर प्रतिबंधों में ढील देने का चीन का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयास कर रहे हैं. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चार साल से अधिक समय तक सैन्य गतिरोध के कारण दोनों देशों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था.
भारतीय कंपनियों को चीन ने दिया लाइसेंस
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘कुछ भारतीय कंपनियों को चीन से रेअर अर्थ मिनरल्स के आयात के लिए लाइसेंस प्राप्त हुए हैं.’ हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया.
रेअर अर्थ मिनरल्स को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), ड्रोन और बैटरी स्टोरेज सहित उच्च-स्तरीय तकनीकी उत्पादों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला में चीन की प्रमुख भूमिका है.
रेअर अर्थ मिनरल्स के खनन में चीन की बड़ी भूमिका
ग्लोबल रेअर अर्थ मिनरल्स के खनन में चीन का योगदान लगभग 70 फीसदी है, जिससे दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की वैश्विक सप्लाई चेन में इसकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. चीन 2023 तक भारत को भारी मात्रा में उर्वरक निर्यात करता था. हालांकि, बीजिंग ने पिछले साल कई देशों को आपूर्ति रोक दी थी. उसने जून में प्रतिबंध हटा लिए, लेकिन भारत को निर्यात फिर से शुरू करने के मानदंडों में ढील नहीं दी.
दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध बनाने की पहल
चीन ने दो हफ्ते पहले रेअर अर्थ मिनरल्स, लिथियम बैटरी और दुर्लभ पृथ्वी खनिज आधारित सुपरहार्ड सामग्रियों से संबंधित प्रौद्योगिकियों और उपकरणों के निर्यात पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की थी. भारतीय कंपनियों को लाइसेंस देने के चीन के फैसले को दोनों पक्षों के बीच संबंधों को फिर से बेहतर बनाने के समग्र प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है.
पिछले कुछ महीनों में, दोनों पक्षों ने संबंधों को फिर से बेहतर बनाने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना और भारत द्वारा चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करना शामिल है.
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