दिल्ली हाईकोर्ट ने ORS (Oral Rehydration Solution) नाम से बाजार में बेचे जा रहे ड्रिंक्स और एनर्जी बेवरेज पर लगी रोक को बरकरार रखा है। अदालत ने साफ कहा कि ऐसे उत्पाद जनता के स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं और इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के आदेश में कोई दखल नहीं देगी, क्योंकि यह मामला सीधे जनस्वास्थ्य से जुड़ा है।
FSSAI ने हाल ही में आदेश जारी करते हुए कहा था कि कोई भी कंपनी अपने पेय या एनर्जी ड्रिंक में ‘ORS’ शब्द का उपयोग नहीं कर सकती, जब तक कि वह उत्पाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुरूप वास्तविक ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन न हो। अथॉरिटी ने इसे भ्रामक मार्केटिंग और कानूनी उल्लंघन बताया था।
डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज ने अपने उत्पाद Rebalanz VITORS पर FSSAI की रोक को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कंपनी ने दलील दी कि वह अब इस नाम से नया बैच नहीं बना रही है और नाम बदलने के लिए तैयार है, लेकिन पहले से बाजार में मौजूद स्टॉक की बिक्री की अनुमति दी जाए।
वहीं, FSSAI की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कोर्ट में कहा कि इस तरह के पेय आम लोगों को गुमराह करते हैं और स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए इन पर पूरी तरह रोक जरूरी है।
जस्टिस सचिन दत्ता ने FSSAI के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मामला लोगों की सेहत से जुड़ा है, इसलिए रोक जारी रहेगी। कोर्ट ने कंपनी को निर्देश दिया कि वह FSSAI के समक्ष नाम बदलने और स्टॉक की बिक्री पर अपना पक्ष रख सकती है, लेकिन अदालत की ओर से कोई राहत नहीं दी जाएगी।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया — “जन स्वास्थ्य सर्वोपरि है, और किसी भी कीमत पर ऐसे भ्रामक उत्पादों को बाजार में जारी रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
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