Breaking News

डीडीयू:योग कार्यशाला के साथ मनाया गया मालवीय जयंती

डीडीयू:योग कार्यशाला के साथ मनाया गया मालवीय जयंती

योग को विज्ञान से जोड़ने की आवश्यकता – प्रो.पूनम टंडन

मुख्य संवाददाता(शाश्वत राम तिवारी)

गोरखपुर।सुपर फास्ट टाइम्स
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा कुलपति प्रो.पूनम टण्डन के संरक्षण में चल रहे सप्तदिवसीय शीतकालीन कार्यशाला ’योग का विज्ञान’ सातवें एवं अंतिम दिन सम्पन्न हो गया। इस कार्यशाला के साथ ही महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की 162 वीं जयंती समारोह का आयोजन भी किया गया।आयोजन का शुभारंभ कुलपति प्रो.पूनम टण्डन के द्वारा गुरु गोरक्षनाथ एवं मदन मोहन मालवीय के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विधि विभाग के पूर्व अधिष्ठाता प्रो.जितेन्द्र मिश्र रहे और मुख्य अतिथि प्राणि विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.दिनेश कुमार सिंह रहे। कार्यशाला के इस अंतिम दिन भी सुबह डॉ.विनय कुमार मल्ल के द्वारा योग प्रशिक्षण दिया गया। योग प्रशिक्षण में लगभग 80 विद्यार्थियों सहित अनेक लोगों ने सहभाग किया।जिन्हे अनेक योगासनों का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला एवं जयंती समारोह के व्याख्यान का प्रारंभ कुलपति ,मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के स्वागत के साथ शोधपीठ के उप- निदेशक डॉ.कुशलनाथ मिश्र के कार्यशाला के विवरण के साथ हुआ।कार्यशाला के मुख्य वक्ता प्रो.जितेन्द्र मिश्र ने मदन मोहन मालवीय पर अपने संबोधन में कहा कि मालवीय जी का युग द्रष्टा थे। उन्होंने युग की आवश्यकताओं के अनुसार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का निर्माण किया,परंतु साथ ही वे फकीर भी रहे। वे स्वतंत्रता सेनानी के साथ ही मानवतावादी धर्म के प्रवक्ता भी थे।वही मुख्य अतिथि प्रो.दिनेश कुमार सिंह ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा की आज गीता जयंती है। गीता योग का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। मालवीय जी ने गीता के कर्मयोग को अपने जीवन मे उतार दिया था। विद्यार्थियों को उनके जीवन से इस कर्मयोग को ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कार्यशाला के महत्त्व पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम चलते रहना चाहिए।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.पूनम टण्डन ने कहा कि यह कार्यशाला शोधपीठ का एक बहुत ही अच्छा नवाचार है। जिसमें योग को विज्ञान के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने योग और स्वास्थ्य परीक्षण की चर्चा करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि योग की उत्पत्ति भारत में हुई है। योग पर हमें और शोध कार्य करना चाहिए और इसके परिणामों को पूरे विश्व को बताना चाहिए। उन्होंने योग को विज्ञान से जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन शोधपीठ की सहायक ग्रन्थालयी डॉ.मनोज कुमार द्विवेदी के द्वारा किया गया।शोधपीठ के सहायक निदेशक डॉ.सोनल सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो.शोभा गौड़, प्रो.अनुभूति दुबे,विभागाध्यक्ष प्रो.शरद मिश्र,प्रो.विजय कुमार,प्रो.अनिल द्विवेदी,प्रो.अशोक कुमार,प्रो. करुणाकर त्रिपाठी,प्रो.निखिल शुक्ल, शिक्षकगण डॉ.ओपी सिंह,डॉ.अमित उपाध्याय,डॉ.पवन कुमार,डॉ.दुर्गेश पाल,डॉ.संजय तिवारी, विभाष मिश्र, डॉ.अंकित और शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ.सुनील कुमार, शोध अध्येता हर्षवर्धन सिंह, रणंजय सिंह, प्रिया सिंह,चिन्मयानन्द मल्ल एवं शोध के छात्र- छात्राएं शामिल रहे।

About News Desk

✍️ Zafar Ahmad editor-in-chief Super fast times prayagraj

Check Also

संसद में धक्का-मुक्की मामले की जांच क्राइम ब्रांच करेगी, राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज हुई थी FIR।

  नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने संसद परिसर में ‘धक्का-मुक्की’ के आरोप में कांग्रेस नेता राहुल …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *