लखनऊ में जज की बेटी के सुसाइड मामले में बच्चों के बयान अभी तक नहीं हो सके। बच्चे इस वक्त कहां इसकी भी जानकारी मानवाधिकार और क्राइम ब्रांच को भी नहीं है। प्रीति के पिता शरद तिवारी ने डीजीपी से मुलाकात करके केस की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर करने के
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घटना के बाद से बच्चों की सुपुर्दगी रविंद्र कुमार द्विवेदी के भाई सरजू प्रसाद द्विवेदी के सौंपी गई थी। 5 दिसंबर जांच अधिकारी हरदोई पहुंचे तो मालूम हुआ कि सरजू प्रसाद द्विवेदी डायरिया के चलते संडीला अस्पताल में भर्ती है। जांच अधिकारी घर पहुंचे तो दरवाजा बिना खोले एक महिला ने बताया कि वहां नहीं हैं। जांच के दौरान शारदा प्रसाद तिवारी ने अपना स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के चलते उपस्थित होने में असमर्थता जताई थी।
अब समझिए पूरा मामला लखनऊ में वृंदावन योजना सेक्टर-12 में रिटायर्ड एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की बेटी प्रीति की 10वीं मंजिल से संदिग्ध हालत में गिरकर मौत हो गई। मृतका के परिजनों ने बेटी के पति रविन्द्र कुमार द्विवेदी पर हत्या कर 10वीं मंजिल से फेंके जाने का आरोप लगाया था। जिसके बाद पति को जेल भेज दिया गया था।
पति रविन्द्र कुमार द्विवेदी पंजाब नेशनल बैंक में लॉ ऑफिसर हैं। परिवार का आरोप था कि बेटी 5 से कॉल करके बता रही थी कि बैंक के 80 लाख का लोन भरने का दबाव बना रहे हैं। जीना मुश्किल कर दिया है। रिटायर्ड एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की बेटी प्रीति (35), पति रविन्द्र कुमार द्विवेदी (40), और बेटे विश्वाम (11), अंजनेय (3) के साथ अरावली एंक्लेव में बी 11/404 वृंदावन योजना में रहती थीं।
मामले में दोनों बच्चे की गवाही मुख्य घटना के बाद 11 नवंबर को विवेचक को निर्देश दिया गया था प्रीति के दोनों बच्चों से पूछताछ करके रिपोर्ट लगाएं क्योंकि मामले में दोनों नाबालिग बच्चे महत्वपूर्ण सबूत हैं। इस दौरान पता चला कि आरोपी पति ने घटना वाले दिन ही अपने सगे भाई सरजू प्रसाद द्विवेदी तथा चचेरे भाई अश्विनी कुमार द्विवेदी को बच्चों की सुपुर्दगी में दे दी थी। इस समय दोनों बच्चे उन्हीं के पास हैं। विवेचनाधिकारी ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट भी आयोग को प्राप्त कराई।
आयोग ने 19 नवंबर को बच्चों को सामने पेश करने का निर्देश दिया। इसके पहले बच्चों को संरक्षण गृह में रखा जाए। जिससे बच्चे निष्पक्ष और बिना डरे अपनी बात रख सकें। लेकिन सरजू प्रसाद द्विवेदी तथा चचेरे भाई अश्विनी कुमार द्विवेदी ने लाने से मना कर दिया।
बच्चों को सरंक्षण गृह में नहीं लाना चाहते मामले में सरजू प्रसाद ने 25 नवंबर को आयोग से अनुरोध किया कि वो बाल सरंक्षण गृह के जरिए बच्चों को आयोग के सामने नहीं लाना चाहते हैं। बल्कि वह सीधे दोनों बच्चों को आगे की तारीख में आयोग के सामने बयान के लिए प्रस्तुत कर देगें। अगली तारीख 2 दिसंबर दी गई लेकिन बच्चे आयोग के सामने पेश नहीं हुए।
बच्चों को छीनने का आरोप लगाया सरजू प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि वो बच्चों को लेकर जांच अधिकारी के पास जा रहे थे। तभी दूसरी पक्ष ने कुछ साथियों के साथ बच्चों को छीनने का प्रयास किया। हालांकि परिवादी से इस घटना से इंकार कर दिया।
वहीं सरजू प्रसाद द्विवेदी और अश्विनी कुमार द्विवेदी मामले के पैरोकार हैं। आयोग ने इनको अगली तारीख 9 दिसंबर 12 बजे दी। लेकिन दोनों बच्चों को लेकर नहीं पेश नहीं हुए। अब पुलिस की मदद से 18 दिसंबर 12 बजे दोनों बच्चों को आयोग के सामने उपस्थित करने की बात कही जाएगी। जिससे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकें।