बीजिंग: भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार की संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं। एक माह पहले रियो डी जेनेरियो में जी-20 की बैठक से इतर हुई पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक ने दोनों देशों के बीच 4 वर्षों से जारी तनाव को काफी हद तक कम कर दिया था। इसके बाद भारत-चीन के रिश्तों में जमी बर्फ धीरे-धीरे पिघलने लगी। अब इसी कड़ी को और आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल बुधवार को होने वाली भारत-चीन विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता में भाग लेने के लिए मंगलवार को बीजिंग पहुंचे।
इस वार्ता का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय तक प्रभावित रहे द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करना है। डोभाल अपने चीनी समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी के साथ विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की 23वें दौर की वार्ता करेंगे। इस दौरान पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर दोनों देशों के बीच 21 अक्टूबर को हुए समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।
भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार चीन
चीन ने इस महत्वपूर्ण वार्ता से पहले मंगलवार को कहा कि वह 24 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर रूस के कजान में हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक के दौरान बनी आम सहमति के आधार पर प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए तैयार है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक संवाददाता सम्मेलन में विशेष प्रतिनिधि वार्ता के बारे में पूछे जाने पर कहा कि चीन दोनों नेताओं (मोदी और चिनफिंग) के बीच बनी अहम आम सहमति को साकार करने, वार्ता और संचार के माध्यम से आपसी विश्वास एवं भरोसा बढ़ाने, अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने तथा द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ एवं सतत विकास की ओर फिर से ले जाने के मकसद से भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।