राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि पिछले नौ महीनों में भारत-चीन संबंधों में सुधार देखने को मिला है, क्योंकि सीमा पर शांति बनी हुई है. उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ सीमा तनाव कम करने और संबंधित मुद्दों पर बातचीत की.
दोनों नेताओं ने विशेष प्रतिनिधि तंत्र के तहत 24वें दौर की वार्ता की. भारतीय पक्ष ने सीमापार आतंकवाद सहित सभी तरह के आतंकवाद के मुद्दे को मजबूती से उठाया और याद दिलाया कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का एक प्रमुख उद्देश्य आतंकवाद की बुराई से मुकाबला करना है.
बांध निर्माण में पारदर्शिता की आवश्यकता
भारत ने चीन द्वारा यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र नदी) के निचले हिस्से में बनाए जा रहे विशाल बांध पर अपनी चिंता जताई और कहा कि इसका निचले तटीय राज्यों पर गहरा असर पड़ेगा. इस संदर्भ में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया गया. विशेष प्रतिनिधि वार्ता में तनाव कम करने, परिसीमन और सीमा मामलों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई.
सीमाओं पर शांति और सौहार्द
वांग की यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने के प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है. 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद बिगड़े रिश्तों के बीच अब दोनों देशों के बीच ‘उन्नति की प्रवृत्ति’ दिखाई दे रही है. डोभाल ने कहा कि सीमाएं शांत हैं, सौहार्द बना हुआ है और द्विपक्षीय संबंध अधिक ठोस हो गए हैं.
पीएम मोदी का चीन दौरा
डोभाल ने औपचारिक घोषणा की कि प्रधानमंत्री मोदी तियानजिन में आयोजित होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करेंगे. उन्होंने कहा कि इस यात्रा के मद्देनजर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता का महत्व और बढ़ गया है.
उन्होंने यह भी बताया कि पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत के बाद से दोनों देशों को काफी लाभ हुआ है और नया माहौल बनने से विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति आसान हुई है.
रणनीतिक संचार और आपसी विश्वास
मोदी और जिनपिंग की पिछली बैठक पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी के समझौते के तुरंत बाद हुई थी. दोनों नेताओं ने संबंध सामान्य करने के लिए विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता जारी रखने पर सहमति जताई.
वांग यी ने कहा कि दोनों पक्षों को रणनीतिक संचार के जरिए आपसी विश्वास बढ़ाना चाहिए, सहयोग और आदान-प्रदान के जरिए साझा हितों का विस्तार करना चाहिए और सीमा संबंधी मुद्दों का उचित समाधान खोजना चाहिए.
आतंकवाद पर सख्त रुख
चर्चा में भारतीय पक्ष ने सीमा पार आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया. वांग ने सहमति जताई कि आतंकवाद से मुकाबला करना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और सौहार्द बनाए रखने पर जोर दिया.