चीन ने भारत के करीबी दोस्त आर्मेनिया संग रणनीतिक साझेदारी का ऐलान किया है। शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (SCO समिट) और जापानी आक्रमण के विरुद्ध चीनी जन प्रतिरोध युद्ध की 80वीं वर्षगांठ को लेकर चीन आए निकोल पाशिनयान संग शी जिनपिंग की मुलाकात भारत के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है।
दरअसल, आर्मेनिया पिछले कई सालों से भारत के सबसे बड़े हथियार खरीदारों में शामिल है। ऐसे में चीन की रणनीतिक साझेदारी से भारत के डिफेंस सेक्टर को झटका लगने की आशंका है। कुछ दिनों पहले आर्मेनियाई विदेश मंत्री अरारत मिर्जोयान ने कहा था कि उनका देश चीन के साथ बिना किसी सीमा के संबंधों को गहरा करना चाहता है। आर्मेनिया की चीन से बढ़ती नजदीकियों को नागोर्नो-काराबाख युद्ध के बाद रूस से अलग विदेश नीति में विविधता लाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
जिनपिंग और पाशिनयान की मुलाकात
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने थ्येनचिन गेस्ट हाउस में अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने एक रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की घोषणा की। जिनपिंग ने पाशिनयान से कहा कि चीन और आर्मेनिया को एक-दूसरे का दृढ़ता से समर्थन करना चाहिए और सभी क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना चाहिए।
बेल्ट एंड रोड पहल पर जोर
जिनपिंग ने कहा कि दोनों पक्षों को उच्च गुणवत्ता के साथ बेल्ट एंड रोड पहल का संयुक्त रूप से निर्माण करना चाहिए और संपर्क को मजबूत करना चाहिए। आर्मेनियाई प्रधानमंत्री पाशिनयान ने कहा कि चीन ने अभूतपूर्व प्रगति की है और आर्मेनिया अपने आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए चीन से सीखने की उम्मीद करता है।
भारत-आर्मेनिया के रक्षा समझौते
भारत और आर्मेनिया ने पिछले कुछ वर्षों में करोड़ों डॉलर के रक्षा समझौते किए हैं, जिनसे आर्मेनिया की सैन्य ताकत कई गुना बढ़ी है। बताया जाता है कि आर्मेनिया ने 2022 और 2023 के बीच भारत के साथ लगभग 1.5 बिलियन डॉलर के रक्षा अनुबंध किए हैं। इनमें 214 मिमी पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर, 155 मिमी ATAGS आर्टिलरी सिस्टम, ZADS काउंटर-ड्रोन सिस्टम, आकाश-1S और आकाश-NG एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद शामिल है।