सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें बाहरी अधिकारी को विशेष जांच दल (SIT) में शामिल करने को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन बताया गया था। यह मामला प्रसिद्ध तिरुमला तिरुपति मंदिर के ‘लड्डू प्रसादम’ में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट की जांच से जुड़ा है।
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा था कि CBI निदेशक ने जांच के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया, जब उन्होंने SIT में बाहरी अधिकारी को शामिल किया। सुप्रीम कोर्ट ने CBI निदेशक की याचिका पर राहत देते हुए कहा कि जांच की निगरानी खुद एजेंसी के प्रमुख कर रहे हैं और किसी विशेष अधिकारी को सहयोग के लिए नियुक्त करना गलत नहीं है।
पीठ ने पूछा कि अगर SIT किसी खास अधिकारी को नियुक्त करना चाहती है तो इसमें क्या समस्या है। CBI की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि अधिकारी केवल सीमित भूमिका में रिकॉर्ड रखने के लिए शामिल किए गए थे। इसके विरोध में प्रतिवादी के वकील ने कहा कि जांच अधिकारी केवल रिकॉर्ड रखने वाले नहीं हैं।
प्रतिवादी के वकील का तर्क था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में SIT की संरचना स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई थी और किसी अन्य अधिकारी को शामिल करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या SIT ने अपनी निगरानी खत्म कर दी है, जबकि अधिकारी केवल जांच में सहयोग कर रहे हैं। हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादी से CBI निदेशक की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा।
यह विवाद हाई कोर्ट के आदेश से शुरू हुआ, जिसमें कहा गया था कि CBI निदेशक ने जे. वेंकट राव नामक अधिकारी को SIT में शामिल किया, जो औपचारिक रूप से SIT का हिस्सा नहीं थे।