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इंडिगो मुद्दे के चलते DGCA पर बड़े कदम उठाने की मांग तेज हुई, पायलट्स फेडरेशन ने न्यायालय में याचिका दायर की।

 

पायलटों की थकान को लेकर बने सुरक्षा नियमों को लागू न करने के आरोपों पर अब नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) अदालत के कठघरे में है. दिल्ली हाई कोर्ट 15 दिसंबर को फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर सकता है. याचिका में DGCA पर कोर्ट के साफ और बाध्यकारी आदेशों की जानबूझकर अवहेलना का गंभीर आरोप लगाया गया है.

फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स का दावा FDTL नियमों को नहीं किया लागू

फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स का दावा है कि फ्लाइट एंड ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नियमों को ढंग से लागू न करने का असर सीधे यात्रियों की सुरक्षा पर पड़ा है. पायलट संगठन के मुताबिक, यही लापरवाही बीते एक हफ्ते से जारी एविएशन संकट की बड़ी वजह बनी, जिससे इंडिगो जैसी बड़ी एयरलाइंस को परिचालन संकट का सामना करना पड़ा और देशभर में हजारों उड़ानें रद्द या देर से चलीं.

फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने DGCA पर लगाया आरोप

दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि DGCA ने इस साल हाई कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (CAR) 2024 तय समय पर लागू किया जाएगा, लेकिन इसके उलट एयरलाइंस को नियमों में ढील और समय बढ़ाने की छूट दे दी गई. यह सब बिना कोर्ट की अनुमति के किया गया, जबकि 1 नवंबर तक नियमों के पूरी तरह लागू होने का वादा किया गया था. FIP ने आरोप लगाया कि एयरलाइंस की ओर से तैयार किया गया FDTL ढांचा उन मानकों से मेल ही नहीं खाता, जिन पर DGCA ने अप्रैल 2025 में हाई कोर्ट के सामने सहमति दी थी. इसे कोर्ट के आदेशों की सीधी अवहेलना बताया गया है.

पायलट और क्रू पर्याप्त संख्या में मौजूद- पायलट संगठन

दिल्ली हाई कोर्ट में पायलट संगठन ने पायलटों की कमी के दावे को भी सिरे से खारिज किया है. याचिका में कहा गया है कि सेक्टर में पायलट और क्रू पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं, लेकिन एयरलाइंस उन्हें पूरी क्षमता से ड्यूटी पर नहीं लगा रहीं. नियमित रोस्टर ड्यूटी के लिए पायलट उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें सीमित उड़ान घंटे वाले लचीले कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जा रहा है. पिछले महीने हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने FIP को अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति दी थी और साफ कर दिया था कि अगर आदेशों का पालन नहीं हुआ है तो अवमानना पर सख्त कार्रवाई हो सकती है.

दिल्ली हाई कोर्ट CAR 2024 लागू करने के पहले ही दिए थे आदेश

दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले पायलट संगठनों की याचिकाएं निपटाते हुए CAR 2024 को लागू करने का रास्ता साफ किया था और एयरलाइंस को निर्देश दिए थे कि वे अपनी FDTL योजनाएं तीन हफ्ते के भीतर DGCA को सौंपें. कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि नियमों की अनदेखी भविष्य में स्वीकार नहीं की जाएगी. सरकार ने अदालत को यह भरोसा दिलाया था कि नए FDTL नियम चरणबद्ध तरीके से लागू होंगे. वहीं, 15 प्रावधान 1 जुलाई, 2025 से और बाकी 7 प्रावधान 1 नवंबर, 2025 से अब इन्हीं वादों और आदेशों के पालन पर DGCA को कोर्ट के सामने जवाब देना होगा.

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