सहारनपुर में जमीयत दावातुल मुस्लिमीन के संरक्षक और देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने हाल ही में एक वीडियो जारी कर मुस्लिम बेटियों के दूसरे धर्म अपनाने की बढ़ती घटनाओं पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि समाज में इस पर कई तरह की बातें हो रही हैं—कुछ लोग इसे बेटियों की ज्यादा तालीम का नतीजा बताते हैं, तो कुछ इसे मिली आज़ादी का असर मानते हैं। लेकिन उन्होंने इन दोनों दावों को खारिज किया।
मौलाना गोरा का कहना है कि असली वजह घरों से इस्लामी तालीम का कम होना और सही तर्बियत की कमी है। उन्होंने कहा कि आज मुस्लिम परिवार बच्चों को आधुनिक और उच्च शिक्षा दिलाने में तो आगे हैं, लेकिन उनकी नैतिक परवरिश, ईमान, अखलाक और दीनदार माहौल देने पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता।
उन्होंने अफसोस जताया कि परिवारों में समझाने का तरीका भी बदल गया है—अक्सर भाई बहनों को गुस्से में समझाते हैं, जिससे संवाद में मोहब्बत और हिकमत खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि बेटियों को रोकना या दबाना समाधान नहीं है। तालीम खतरा नहीं, बल्कि तर्बियत की कमी असली खतरा है।
मौलाना गोरा ने मुस्लिम परिवारों से अपील की कि घरों का माहौल बेहतर बनाया जाए—जहां दीन का माहौल हो, समझने-बताने की गुंजाइश हो और बेटियां अपने घर में भरोसा, इज्जत और सकून महसूस करें। उनका कहना है कि अगर तर्बियत मजबूत होगी तो बाहरी प्रभाव बेटियों को गुमराह नहीं कर पाएंगे।
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