निष्कासित छात्र परीक्षा में शामिल होकर सुरक्षा व्यवस्था को दे रहा खुलेआम चुनौती
– पूर्व कुलपति को पीटने के मामले में हुआ था छात्रनेता का निष्कासन
-कैंट थाने में भी दर्ज है आपराधिक मुकदमा
मुख्य संवाददाता(शाश्वत राम तिवारी)
गोरखपुर।सुपर फास्ट टाइम्स
दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में नियमों की धज्जियां उड़ना अब आम बात हो गयी है। गार्डों की लापरवाही की वजह से कैंपस में घुसकर मनबढ़ पढ़ने वाले छात्रों के साथ मारपीट करने लगते हैं।हाल ही में मामला प्रकाश में आया है।विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग से जहां डीडीयू के कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक की लापरवाही सामने आई है। यहां एक निष्कासित छात्र आराम से परीक्षा में शामिल होकर जिम्मेदारों और सुरक्षा व्यवस्था को खुलेआम चुनौती कर रहा है।विश्वविद्यालय के अलग-अलग विभाग में पढ़ते हैं आरोपी छात्र पूर्व कुलपति प्रो.राजेश सिंह को पीटने के आरोप में डीडीयू के अलग-अलग विभाग में पढ़ने वाले छात्रों को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया था। इतना ही नहीं इन सभी पर कैंट थाने में आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हुआ। उस समय कुलसचिव कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार आरोपी छात्रों के कैंपस में घुसने पर भी प्रतिबंध लगाया गया था। हालांकि इस आदेश का पालन हफ्ते भर भी नहीं हो सका और आरोपी छात्रों ने कैंपस में घुसने के साथ ही बर्थडे पार्टी तक का आयोजन कर विश्वविद्यालय की सुरक्षा व्यवस्था को रोजाना कटघरे में खड़ा किया। निष्कासित छात्रों के परीक्षा में शामिल होने पर रोक का है नियम
बीते सोमवार को बचा हुआ कसर भी पूरी हो गया। दरअसल सोमवार को आयोजित पत्रकारिता की परास्नातक परीक्षा में शामिल होने पूर्व कुलपति को पीटने का आरोपी छात्रनेता अनुराग मिश्रा भी आया। वह पहले तो मेन गेट से लेकर कला संकाय तक सुरक्षा में लगे गार्डों को चकमा देकर क्लास रूम तक पहुंचा। इसके बाद दूसरी पाली में आयोजित परीक्षा में शामिल होकर पूरे तीन घंटे तक पेपर भी लिखता रहा। इस दौरान कक्ष निरीक्षक से लेकर सचल दस्ते की टीम भी कई बार जांच करने पहुंची लेकिन किसी की नजर उसपर नहीं पड़ी। जबकि विश्वविद्यालय के नियमों के मुताबिक कोई भी निलंबित या निष्कासित छात्र परीक्षा में शामिल होना तो दूर कैंपस में भी प्रवेश नहीं कर सकता। ऐसे में आरोपी छात्र का परीक्षा में शामिल होना बड़े सवाल खड़े करता है।आरोपी छात्रनेता अनुराग मिश्रा कुलपति से मारपीट के मामले में डीडीयू से निष्कासित है। बावजूद इसके वह लगातार कैंपस में आता रहा। उसने पत्रकारिता की परास्नातक की परीक्षा में शामिल होने से पहले इसकी प्रयोगात्मक परीक्षा भी दी। वहीं परीक्षा से पहले उसने आनलाइन परीक्षा फार्म भरकर आवेदन किया। इस दौरान जिम्मेदार पूरी तरह से मौन बने रहे। इस पूरी अवधि में कुलसचिव से लेकर परीक्षा नियंत्रक कार्यालय तक उसका ब्योरा आता- जाता रहा लेकिन एक बार भी जिम्मेदारों की नजर इसपर नहीं पड़ी। कुलपति से मारपीट में शामिल अन्य मनबढ़ छात्रों ने भी डीडीयू की सेमेस्टर परीक्षाओं में शामिल होने के लिए आवेदन किया है। इसमें कुछ ने परास्नातक तो कुछ ने स्नातक परीक्षा में शामिल होने के लिए आनलाइन परीक्षा फार्म भरे हैं।ज्यादातर के प्रवेश पत्र जारी भी हो चुके हैं लेकिन जिम्मेदार इससे अब भी हलकान हैं। इस संबंध में प्रॉक्टर प्रो.सतीश पांडेय ने बताया कि घटना मेरे कार्यकाल की नहीं है। इसलिए मुझे जानकारी नहीं है कि कौन- कौन से छात्र आरोपी हैं। आरोपी छात्रों की पहचान कर उन्हें परीक्षा में शामिल होने से रोका जाएगा। किसी भी आपराधिक प्रवित्ति या अवांछनीय गतिविधियों में शामिल होने वाले छात्र को कैंपस में प्रवेश करने से रोका जाएगा।
कुलपति बोलीं हमसे किसी ने नहीं ली परमीशन
कुलपति प्रो.पूनम टंडन ने बताया कि पूर्व कुलपति के साथ मारपीट के मामले में आरोपी किसी भी छात्र का निष्कासन समाप्त नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी आरोपी छात्र ने परीक्षा में शामिल होने की अनुमति भी नहीं मांगी है। ऐसे में आरोपी छात्र परीक्षा में कैसे शामिल हो रहे हैं। इसकी जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा उसपर कार्रवाई की जाएगी।