बलिया में गंगा घटाव पर, टोंस स्थिर लेकिन सरयू बढ़ाव पर
बलिया में गंगा घटाव पर है, टोंस स्थिर है लेकिन सरयू बढ़ाव पर। तीनों नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। नतीजा यह कि 58 गांवों की करीब 70 हजार की आबादी बाढ़ की चपेट में है। सड़कों पर नावें चल रही हैं और लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है। निहोरा नगर, कृष्णा नगर, बेदुआ, मुहम्मदपुर, महावीर घाट, गौसपुर और गायत्री कॉलोनी जैसे इलाकों में पानी भर गया है।
सोमवार सुबह गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान 57.615 मीटर से ऊपर 59.11 मीटर दर्ज हुआ। हालांकि पानी घट रहा है, लेकिन उतरती लहरें किनारों को काट रही हैं। चक्की नौरंगा गांव में गंगा की कटान से लोगों के मकान नदी में समाहित हो रहे हैं। गांव का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है, अब यहां कुछ ही घर बचे हैं।
सरयू के बढ़ते पानी से दहशत
चांदपुर गेज पर सरयू नदी का जलस्तर 58.00 मीटर खतरे के निशान से ऊपर 58.56 मीटर पर है। पिछले साल इसी नदी ने दो गांवों को निगल लिया था। यही वजह है कि तटवर्ती इलाकों में दहशत है। बांसडीह तहसील के चितबिसांव खुर्द, रामपुर नंबरी, चांदपुर और नवकागांव, सिकंदरपुर तहसील के लीलकर, निपनियां और जिंदापुर, जबकि बैरिया क्षेत्र के गोपालनगर और शिवाल मठिया गांव में पानी घुस गया है।
टोंस नदी से संपर्क मार्ग कटे
टोंस नदी का जलस्तर खतरे के निशान 60.00 मीटर से ऊपर 60.50 मीटर पर स्थिर है। पिछले एक महीने में चौथी बार उफान आया है। इसका असर यह हुआ कि चितबड़ागांव से नगवा गाई, बीबीपुर, बढ़वलिया और मंजूरपुर समेत कई गांवों को जोड़ने वाले रास्ते डूब गए। मरीजों, बच्चों और किसानों को भारी दिक्कतें हो रही हैं।
गांव बने टापू, चारे का संकट
सुघर छपरा, दूबे छपरा, गोपालपुर, नौरंगा, भुआल छपरा, उपाध्याय टोला और भगवानपुर जैसे गांव टापू में बदल गए हैं। लोगों को आशियाना खोने का डर सता रहा है। पशुओं के लिए चारे का संकट गहराता जा रहा है।
बाढ़ पीड़ितों का आरोप- “सहायता नहीं मिली”
बेदुआ नई बस्ती निवासी अमित यादव ने कहा कि प्रशासन और नगर पालिका की कोई मदद नहीं मिल रही। वार्ड के मेंबर और चेयरमैन भी नहीं आए। नाव वाले लोगों की मेहनत पर सवारी चल रही है लेकिन उन्हें भी कोई भुगतान नहीं दिया जा रहा। आरोप है कि बाढ़ प्रभावित घरों तक राशन नहीं पहुंचा, जबकि सुरक्षित इलाकों के लोगों को फोन कर बुलाकर राशन दिया जा रहा है।