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प्रयागराज में बाढ़ का कहर: कई घरों में घुसा पानी, 3 लाख से ज्यादा प्रतियोगी छात्र छोड़ रहे शहर, बोले – “यहां कोई व्यवस्था नहीं, वापस लौट रहा हूं घर” 

प्रयागराज में बाढ़ ने बढ़ाई लोगों की परेशानी, कई इलाकों में घुसा पानी। छोटा बघाड़ा, सलोरी, शुक्ला मार्केट और राजापुर जैसे क्षेत्रों में लॉज में रह रहे प्रतियोगी छात्र अब वहां से अपना सामान समेटकर अपने घरों को लौटने लगे हैं।
अनुमान है कि ढाई से तीन लाख प्रतियोगी छात्र अब तक अन्यत्र स्थानों पर जा चुके हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 400 से ज्यादा लाइब्रेरी बंद कर दिए गए हैं जो बाढ़ की चपेट में हैं। वहीं, दूसरी ओर दारागंज घाट डूबने की वजह से लाशें सड़क पर जलाई जा रही हैं।

बाढ़ प्रभावित इलाकों की हकीकत जानने के लिए हम सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्र छोटा बघाड़ा और सलोरी में पहुंचे थे।

यहां सबसे ज्यादा प्रतियोगी छात्र रहते हैं। यहां ज्यादातर घरों में पानी आ गया है। सड़क पर सबसे ज्यादा प्रतियाेगी छात्र ही दिख रहे थे।

सिर पर बोरी में सामान और कंधे पर किताब कापियां लिए यह छात्र अपने घरों की तरफ रवाना हो रहे हैं। लोगों ने कहा, यह है सरकार के सपनों का स्मार्ट सिटी।

नहीं मिल रही बिजली, पानी और राशन

प्रतियोगी छात्र शिवम अपना बैग लिए वाराणसी अपने घर वापस जाते मिले। उन्होंने कहा, जिस कमरे में रहता हूं, उसमें पूरा पानी भर गया। पीने का पानी तक नहीं है, ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत खाने के लिए हो रही है।

आजमगढ़ के रहने वाले प्रतियोगी छात्र आशीष कहते हैं, यहां हर वर्ष पानी आ जाता है। रात में अचानक बाढ़ का पानी बढ़ गया और कमरे में पानी आ गया, ऐसी स्थिति में अब घर जाने के लिए अलावा कोई विकल्प नहीं है।

भदोही के वरूण यादव कहते हैं, बाढ़ की वजह से हम लोगों की पढ़ाई डिस्टर्ब हो रही है। जब तक बाढ़ का पानी कम नहीं होता है तब तक परेशानी रहेगी।

“एग्जाम की वजह से यहीं पर रूका हूं”

प्रतियोगी छात्र विकास कुमार कहते हैं, बाढ़ का पानी कमरे में घुस गया लेकिन मेरा NTPC का एग्जाम है, इसलिए बाढ़ के बीच में ही रह रहा हूं। प्रशासन की तरफ प्रतियोगी छात्रों के लिए व्यवस्थाएं करनी चाहिए जो दूर दराज से यहां आकर पढ़ाई कर रहे हैं।

अंकित व रितेश कुमार जौनपुर के रहने वाले हैं। कहते हैं, बिहार पुलिस का एग्जाम होना है इसलिए उसकी तैयारी में लगा हूं। प्रशासन की तरफ से हम प्रतियोगी छात्रों के रहने के लिए सुरक्षित स्थान मुहैया कराना चाहिए ताकि बाढ़ के दौरान हम लोग वहां रहकर अपनेी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें।

खुद का घर.. बन गया हूं किराएदार छोटा बघाड़ा में अतुल कुमार का खुद का घर है। कई प्रतियोगी छात्र इनके यहां रूम लेकर पढ़ाई करते हैं। मकान में पूरी तरह से पानी भर गया है। छात्रों के साथ साथ अतुल कुमार पत्नी और बच्चों के साथ दूसरे के मकान में किराए पर रह रहे हैं।

वह कहते हैं, बाढ़ का पानी ज्यादा बढ़ने से घरों में अब रहने की स्थिति नहीं थी, इसलिए सुरक्षित दूसरे के मकान में कुछ दिन के लिए शिफ्ट हो गया हूं।

अतुल कुमार की तरह ही बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनका खुद मकान है लेकिन बाढ़ का पानी आने की वजह से वह अपने ही शहर में किराएदार बनकर दूसरे के मकान में रह रहे हैं।

मकान मालिकों ने 2 गुना कर दिया किराया प्रतियोगी छात्र आकाश कुमार यादव अपने घर वापस लौट रहे थे। उन्होंने बताया, जिस कमरे में रहता हूं, उसमें पानी भर गया। दूसरा कमरा लेना चाहा लेकिन मकान मालिक 2 गुना किराया मांग रहे हैं।

जो कमरा 3 हजार में था उसका अब 6 हजार मांगा जा रहा है। एक महीने के लिए कमरा भी नहीं मिल रहा है। आदित्य कुमार, कहते हैं, हाल में ही एग्जाम है, इसलिए घर नहीं जा पा रहा हूं। 15 से 20 दिन के लिए कमरे का किराया 5 से 6 हजार रुपए मांगा जा रहा है।

नाली ओवरफ्लो, चारों तरफ सिर्फ गंदगी और कीचड़ बाढ़ का पानी गलियाें और घरों में घुसने के बाद अब गंदगी और कीचड़ ही दिख रहा है। राजू यादव, कहते हैं, बाढ़ का पानी आते ही गलियों में चारों तरफ गंदगी ही दिख रहा है। सड़कों पर कीचड़ जमा हो गया। यहां रहने की स्थिति नहीं है। नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए।

छोटा बघाड़ा के रहने वाले पप्पू शर्मा बाढ़ की भयावह स्थिति को दिखाते हुए कहते हैं, यह है मुख्यमंत्री के सपनों का स्मार्ट सिटी का दृश्य.. यहां महाकुंभ के नाम पर लूट मची रहती है लेकिन स्थिति बद से बदतर है।

श्मशान घाट जलमग्न, सड़क पर जल रहीं लाशें दारागंज घाट पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है। यहां स्थिति यह है कि लाशें सड़क पर जलाई जा रही हैं। एक बार में एक साथ 6 लाशें जलाई जा रही है।

2-2 घंटे इंतजार के बाद अंतिम संस्कार हो पा रहा है। कुछ यही स्थिति अब रसूलाबाद घाट की भी होने लगी है। यहां भी सीढ़ियों तक पानी आ गया है, ऊपर ही लाशें जलाई जा रही है।

राजापुर में भी घरों में घुसा पानी राजापुर कछार में भी बाढ़ का पानी पहुंचा है। लोगों के घरों में भी पानी पहुंच गया है। दर्जनों मकान में बाढ़ का पानी घुस गया है। हालत यह है कि बड़ी आबादी या तो घरों में कैद होकर रह गई है या फिर उन्होंने अपने रिश्तेदारों के घरों को अपना नया ठिकाना बनाया है।

सबसे अधिक समस्या इन इलाकों में रहने वाले पशु पालकों को हो रही है। वह अपने पशुओं को बाढ़ के पानी से हटाने में जुटे हैं। वहीं इन इलाकों में किराये का कमरा लेकर रहने वाले स्टूडेंट्स को भी भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

107 गांव व मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित जिला प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक 107 गांव व मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हैं। इसमें सबसे ज्यादा सदर के 47 गांव व मोहल्ले हैं।

सदर तहसील के 47 गांव कछार मऊ/सरैया, राजापुर देह माफी, असदुल्लापुर मो.बाद, बेली कछार, बेली उपरहार, बघाड़ा जहरूद्दीन, बघाड़ा बालन, मेहदौरी कछार, शिवकुटी, चांदपुर सलोरी उपरहार, सादियाबाद कछार, चिल्लापटटी, अराजी बारूद खाना कछार, आराजी जोधवल, अराजी बारूद खाना उपरहार, गोविंदपुर, चांदपुर सलोरी कछार, बकशी उपरहार, बकशी कछार, बभनपटटी कछार, बराही पटटी कछार, मुस्तफा बाद मुंस्कसमा, सराय मौज उर्फ कीडगंज, बखतियारा, दरियाबाद, मेहदौरी उपरहार, म्योराबाद, नकौली कछार, कछार भिखी सराय, नकौली उपरहार, नेवादा, बम्रौली कछार, असरौली कछार, गोहटी कछार, गोहटी उपरहार, करैली, करैला बाग, मैनापुर, असरावलखुर्द, फतेहपूर घाट, उझिली पटटी, चकसेरखां, लखनपुर, आदमपुर मदारीपुर, जोंदवल एवं फुलवा शामिल हैं।

फूलपुर के 18 गांव प्रभावित सोनौटी, बदरा, धोकरी, भदकार, लीलापुर, पुरे सूरदारपूर, कोहना, हवेलिया, बहादुरपूर, शेरडीह, उस्तापुर, महमूदाबाद, नीबीकला, छिबैया, ककड़ उपरहार, दुबावल, कोतारी एवं कालीकट।

करछना के 8 गांव : ​​​​​​देहली भगेसर, हथसरा, पनासा, पनासा उपरहार, भडेरा, कब्का, कचरी एवं खरकोनी।

सोरांव के 8 गांव : फाफामऊ, गंगानगर,रंगपुरा, फतुपर, अकबरपुर गंगागंज, टिकरी, चपरी, सराय जयराम।

मेजा के 12 गांव: झरियारी, अमिलिया खुर्द, इसौटा, मदरा, महेवा, समहन छतावा चौकी, परानीपुर, झरियारी, डेंगुपूर, बगहा एवं अमिलिया।

बारा के 8 गांव : अमिलिया आमद चायल, कंजासा, घूरपुर, गोहरा तरहार, बिरवल, मझियारी, लालापुर एवं पूरे किन्नर।

हंडिया के 6 गांव -बढौली, हरिहरपुर, इन्फवार, गोडरी, कसौधन एवं मवैया।

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