फिर चाँद खिला, फिर रात थमी
फिर दिल ने कहा, है तेरी कमी।
फिर यादों के झोंके महक गए
फिर पागल अरमाँ बहक गए
फिर जन्नत- सी लगती है ज़मी।
फिर दिल ने कहा ,है तेरी कमी।
फिर गुज़रे लम्हों की बातें
फिर जाग गयी सारी रातें
फिर ठहर गयी पलकों में नमी
फिर दिल ने कहा है तेरी कमी।
✍️ सुनील दत्त दुबे
_पुलिस उप -अधीक्षक_
जनपद- गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)