राउज एवेन्यू कोर्ट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आम आदमी पार्टी नेता सोमनाथ भारती को अपनी पत्नी लिपिका मित्रा का वकील बनने से रोकने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि किसी पति के लिए अपनी पत्नी का केस लड़ना न तो गैरकानूनी है और न ही अनैतिक।
यह मामला लिपिका मित्रा की ओर से दायर आपराधिक मानहानि केस से जुड़ा है, जो उन्होंने निर्मला सीतारमण के खिलाफ दायर किया है। निर्मला सीतारमण ने कोर्ट से कहा था कि चूंकि सोमनाथ भारती इस केस में अपनी पत्नी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, इसलिए वे निजी और आर्थिक रूप से लाभ उठाने की स्थिति में हैं, जो बार काउंसिल के नियमों के खिलाफ है।
सुनवाई के दौरान जज परास दलाल ने कहा कि पति-पत्नी के बीच स्वाभाविक रूप से हित जुड़े होते हैं, लेकिन इसे अनैतिक नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक कोई वकील अनैतिक तरीके का इस्तेमाल नहीं करता, केवल रिश्ते के आधार पर उसकी नीयत पर शक नहीं किया जा सकता। भविष्य में किसी नियम उल्लंघन की स्थिति में अदालत बार काउंसिल को सूचित कर सकती है।
साथ ही, कोर्ट ने लिपिका मित्रा की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने पेशी पर हाजिर न होने पर लगे पांच हजार रुपए के जुर्माने को माफ करने की मांग की थी। लिपिका मित्रा ने आरोप लगाया था कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान निर्मला सीतारमण ने उनके और सोमनाथ भारती के खिलाफ झूठे अपमानजनक बयान दिए, जिससे उनके परिवार और पति की छवि को नुकसान पहुंचा। अब मामले की प्री-सम्मनिंग सबूतों की अगली तारीख 1 नवंबर तय की गई है।