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20 साल पुराने मामले में कोर्ट ने 4 दोषियों को सजा सुनाई, बैंक को 7 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने बैंक ऑफ इंडिया के 6.8 करोड़ रुपये के फ्रॉड मामले में चार आरोपियों को दोषी करार दिया और सजा सुनाई। यह मामला 2004 से 2006 के बीच का था।

अदालती आरोप के अनुसार, बैंक अधिकारियों और कुछ प्राइवेट लोगों ने मिलकर फर्जी दस्तावेज़ और नकली वर्क ऑर्डर बनाकर बैंक ऑफ इंडिया, हजरतगंज ब्रांच से कैश क्रेडिट की सुविधा ली। इन पैसों का उपयोग असली काम के बजाय निजी लाभ के लिए किया गया, जिससे बैंक को 6.8 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने डिप्टी चीफ मैनेजर पंकज खरे, राजेश खन्ना और शमशुल हक सिद्दीकी को 3 साल की जेल और 1.25 लाख रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया। इसके अलावा, अनिता कॉन्ट्रैक्टर एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।

इस मामले में कुल 9 आरोपी शामिल थे, जिनमें अनिता जैन, प्रेम प्रकाश अवस्थाना, सुधीर कुमार जैन, मोहम्मद इस्तेयाक खान और पूनम सिन्हा भी थे। सबूतों की कमी के कारण अनिता जैन को बरी कर दिया गया, प्रेम प्रकाश अवस्थाना और पूनम सिन्हा के खिलाफ केस पहले ही खत्म हो गया था, और सुधीर कुमार जैन तथा मोहम्मद इस्तेयाक खान की ट्रायल के दौरान मौत हो गई। अंततः चार आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई गई और बाकी को राहत दी गई।

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