भारत ने अपने नागरिकों से रूसी सेना में शामिल होने के प्रस्तावों को अस्वीकार करने की अपील की है और मॉस्को से यह मांग की है कि भारतीय नागरिकों को सहायक कर्मचारियों के रूप में भर्ती करना तुरंत बंद किया जाए।
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस विषय को दिल्ली और मॉस्को दोनों स्थानों पर रूसी अधिकारियों के समक्ष उठाया गया है। हाल ही में ऐसी रिपोर्ट सामने आई थीं कि छात्र और व्यावसायिक वीजा पर रूस गए कुछ भारतीयों को यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर तैनात सैन्य इकाइयों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया।
मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे इस तरह के प्रस्तावों को न स्वीकारें क्योंकि इसमें गंभीर खतरे निहित हैं। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सरकार कई बार इस जोखिम की ओर ध्यान आकर्षित कर चुकी है और नागरिकों को सतर्क रहने को कहा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रभावित भारतीयों के परिवारों के साथ संपर्क बनाए रखा जा रहा है और रूस से अनुरोध किया गया है कि हमारे नागरिकों को कार्यमुक्त किया जाए।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पहले 126 भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती किया गया था, जिनमें से 12 की मौत हो चुकी है, 96 को कार्यमुक्त किया गया और 16 अब भी लापता हैं।
भारत लगातार रूस से यह आग्रह करता रहा है कि रसोइए और सहायक जैसे पदों पर कार्यरत सभी भारतीयों को मुक्त किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी रूस यात्रा के दौरान यह मुद्दा उठाया था