वक्फ बिल में संशोधन को लेकर बनी जेपीसी की आज मीटिंग की गई। इस मीटिंग में दारुल उलूम देवबंद की तरफ से शामिल प्रतिनिधिमंडल ने वक्फ बिल को खारिज कर दिया। सूत्रों की मानें तो प्रतिनिधिमंडल की तरफ से मीटिंग में मौलाना अरशद मदनी ने करीब 2 घंटे तक अपनी बात रखी। मौलाना अरशद मदनी ने इस दौरान कहा, ‘अगर ये संसोधन आए तो मुसलमानों की इबादतगाहें महफूज नहीं रह पाएगी।’ अरशद मदनी ने कहा, ‘मुल्क में इतनी पुरानी मस्जिदें और इबादतगाहें हैं, जिनका अब कई सौ बरस बाद ये बताना मुश्किल हैं कि इनके वाकिफ (वक्फ करने वाला) कौन है। इस संसोधन में कई बड़ी खामिया हैं, जिसको लाने के पीछे की नियत ठीक नहीं है।
वक्फ में संशोधन का ईसाई सांसदों ने किया विरोध
बता दें कि वर्तमान में वक्फ संशोधन बिल जेपीसी के पास है। इस मामले में ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार इस बिल को पास करा सकती है। हालांकि अबतक ऐसा नहीं हो सका है। वहीं वक्फ बोर्ड के मामले पर देश के ईसाई सांसदों ने मुस्लिमों का समर्थन करने का फैसला किया है। ईसाई सांसदों ने कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की बैठक में कहा कि ईसाई समुदाय को वक्फ विधेयक पर सैद्धांतिक रूप से अपना रुख अपनाना चाहिए, क्योंकि यह संविधान में निहित अल्पसंख्यकों के अधिकारों को प्रभावित करता है।
20 सांसदों ने लिया हिस्सा
बता दें कि भारत में कैथोलिकों की सबसे बड़ी संस्था सीबीसीआई ने 3 दिसंबर को सभी ईसाई सांसदों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में कुल 20 सांसदों ने हिस्सा लिया, जिनमें से अधिकांश सांसद विपक्षी दलों के थे। इस मीटिंग में शामिल सांसदों में टीएमसी के संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन, कांग्रेस सांसद हिबी ईडन, डीन कुरियाकोसा, एंटो एंटनी और सीपीआईएम के सांसद जॉन ब्रिटास शामिल थे। हालांकि बाद में केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन भी इस बैठक में शामिल हुए। बता दें कि दशकों बाद सीबीसीआई द्वारा इस तरह की बैठक का आयोजन किया गया था। इसका आयोजन सीबीसीआई के अध्यक्ष आर्कबिशप एंड्रयूज ने की थी।