अद् भुत है एहसास तुम्हारा,
प्रतिपल मुझको छलता है।
पर मानो या न मानो,
प्रेम हृदय में पलता है।
जब भी नयन मेरी खुलते हैं,
छवि होती है आंखों में।
जब शब्द निकलता है कोई,
नाम तुम्हारा चलता है।
दिल ने है तुम्हें पुकारा,
अब तो प्रियतम आ जाओ तुम।
हो न जाए अनहोनी कुछ,
इंतजार अब खलता है।
सुनील दत्त दुबे
उप पुलिस अधीक्षक
जिला गोरखपुर(उ०प्र०)