पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुआ रक्षा समझौता साउथ एशिया में शक्ति संतुलन को नया मोड़ दे रहा है। अब किसी एक देश पर हमला दूसरे देश पर भी हमला माना जाएगा। तेल भंडारों के लिए मशहूर सऊदी अरब अब अपनी सैन्य ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि वैश्विक स्तर पर इस खाड़ी देश की मिलिट्री कितनी मजबूत है।
दुनिया की शीर्ष सेनाओं में शुमार सऊदी अरब पहले अमेरिका पर रक्षा के लिए निर्भर रहा था, लेकिन अब उसके पास विशाल सेना और हथियारों का बड़ा भंडार है। पाकिस्तान के साथ हुए करार के बाद परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का भी रास्ता खुल गया है। अमेरिका से फाइटर जेट खरीदने के बाद सऊदी ने चीन के साथ भी रक्षा सहयोग बढ़ाया है।
सऊदी अरब की सैन्य ताकत
करीब साढ़े तीन करोड़ की आबादी वाले इस देश में 2.57 लाख एक्टिव सैनिक हैं, जबकि 1.5 लाख जवान पैरामिलिट्री बलों में शामिल हैं।
एयरफोर्स: रॉयल सऊदी एयरफोर्स (RSAF) के पास 1,000 से ज्यादा विमान मौजूद हैं, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप से लिए गए फाइटर जेट शामिल हैं। साथ ही 185 से अधिक हेलीकॉप्टर भी हैं।
थल सेना: लगभग 22,860 जवानों के साथ यह खाड़ी क्षेत्र की सबसे ताकतवर थल सेनाओं में गिनी जाती है। हाल ही में अमेरिका से 177 आधुनिक M109A6 टैंक का ऑर्डर दिया गया है। इसके अलावा 156 सीज़र SPH ट्रक पहले से ही नेशनल गार्ड्स में शामिल हैं। उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम भी इनके पास मौजूद है।
नौसेना: सऊदी नौसेना विकास के दौर में है, लेकिन इसके पास 62 युद्धपोत हैं, जिनमें फ्रिगेट्स, कोरवेट्स और पेट्रोल शिप शामिल हैं। अमेरिका से 4 फ्रीडम क्लास मल्टीवॉर शिप का ऑर्डर भी दिया गया है।