कानपुर में हाई प्रोफाइल चर्चित ज्योति श्यामदसानी हत्याकांड में हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी पीयूष श्यामदसानी की प्रेमिक मनीषा मखीजा को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। पीयूष समेत अन्य पांच आरोपियों की सजा बरकरार रहेगी। उनकी अपील कोर्ट ने खारिज कर दी। जबकि म
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बीती 27 जुलाई 2014 को ज्योति की हत्या हुई थी। जिसमें पीयूष श्यामदासानी, सोनू कश्यप, रेनू उर्फ अखिलेश कनौजिया, आशीष कश्यप, अवधेश चतुर्वेदी और मनीष मखीजा को सेशन कोर्ट ने 20 अक्टूबर 2022 को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। इन सभी ने सेशन कोर्ट के फैसले को अपील में चुनौती दी थी। अपील पर न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने सुनवाई की। हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों के साक्ष्यों और गवाहों के बयान की समीक्षा करने के बाद पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में सफल रहा। अभियोजन ने जो सबूत पेश किए। उससे षड्यंत्र और हत्या की पूरी चेन साबित हो गई। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों को सजा सुनाए जाने का निर्णय पूरी तरीके से सही है और इसमें हस्ताक्षेप करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
वहीं आरोपी मनीष मखीजा के मामले में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को नजरअंदाज किए जाने तथा मात्र आशंका के आधार पर सजा सुनाए जाने को गलत करार दिया। कोर्ट ने कहा कि मनीषा के इस षड्यंत्र में शामिल होने के पुख्ता प्रमाण नहीं है। अभियोजन यह सबित करने में असफल रहा कि मनीषा को ज्योति की हत्या के षड्यंत्र और पीयूष के इरादे की पहले से जानकारी थी। सिर्फ आशंका और संभावना के आधार पर साक्ष्य की चेन पूरी नहीं होती है। इसलिए मनीषा संदेह का लाभ पाने की हकदार है। मनीषा पहले से जमानत पर है। कोर्ट ने उसके बेल बॉन्ड निरस्त करने का निर्देश दिया है।
सेशन कोर्ट ने क्या माना था सेशन कोर्ट के फैसले में स्पष्ट किया कि पीयूष ने ज्योति के अपहरण व हत्या का आपराधिक षड्यंत्र रचकर उसे अपहरणकर्ताओं के हवाले किया था। साजिशन ज्योति के शव को न केवल छिपाया बल्कि गलत सूचना देकर पुलिस को भ्रमित भी किया। मनीषा प्रत्यक्ष रूप से घाटनास्थल पर मौजूद नहीं थी लेकिन पीयूष और सहअभियुक्तों के साथ लगातार फर्जी नामों से लिए गए सिम लगाकर मोबाइल से बात करना मनीषा के षड्यंत्र में शामिल होने की पुष्टि करता है। इसी तरह अवधेश, रेनू और सोनू ने ज्योति का अपहरण कर हत्या की और जेवर लूट लिए थे। आशीष ने भी हत्या और सबूत मिटाने में मदद की। इसलिए सभी हत्या के दोषी पाए गए थे। सेशन कोर्ट ने मनीषा मखीजा के अलावा बाकी पांच अभियुक्तों को अपहरण, हत्या और साक्ष्य मिटाने का दोषी माना था। मनीषा को सिर्फ हत्या और साक्षय मिटाने का दोषी माना गया था।
घटना के बाद पुलिस भी सवालों में घिरी थी
ज्योति की हत्या के बाद जिस तरह की परिस्थितियां पैदा हुई। उसमें पुलिस भी कई सवालों में घिर गई थी जिसमें से कुछ प्रमुख सवाल थे कि
-लूटपाट करने आए लुटेरों ने ज्योति का अपहरण क्यों किया -लूटपाट के बाद उसकी हत्या क्यों कर दी -पीयूष ज्योति के साथ था तो बचाने की कोशिश क्यों नहीं की -पुलिस को तत्काल घटना की सूचना क्यों नहीं दी गई -घटनास्थल पर तेज गति कार के अचानक रुकने से सड़क पर बनने वाले टायर के निशान क्यों नहीं बने
कपड़ों से पैदा हुआ था पहला शक
घटना वाली रात पीयूष श्यादासानी जब स्वरूप नगर थाने पहुंचा था। उस समय उसके कपड़े बदले हुए थे। जबकि पुलिस ने सीसी टीवी फुटेज निकलवाए तो वहां पर उसने दूसरे कपड़े पहन रखे थे। ऐसे में पहला शक पुलिस का तभी गहरा गया था कि पत्नी की मौत के बाद भी पति का दिमाग इतना कैसे चल रहा है कि उसने थाने आने से पहले कपड़े भी बदल लिए। विवेचना के बाद पुलिस ने खुलासा किया था कि पीयूष और उसके घर के बगल में रहने वाली पान मसाला कारोबारी की बेटी मनीषा मखीजा के बीच प्रेम संबंध थे। संबंधों में बाधक ज्योति को रास्ते से हटाने के लिए पीयूष और मनीषा ने मिलकर ज्योति की हत्या का षड्यंत्र रचा। मनीषा ने अपने ड्राइवर अवधेश से बात की तो उसने आशीष, सोनू और रेनू के जरिये ज्योति की हत्या कराने का प्लान बनाया। 50 हजार रुपये में सौदा तय हुआ था। प्लान के तहत ही घटना को अंजाम दिया गया।
सेशन कोर्ट में कैसे मिली सजा
ज्योति हत्याकांड की विवेचना के बाद पुलिस ने कोर्ट ने 109 गवाहों के आधार पर लगभग 2700 पेज की केस डायरी कोर्ट में दाखिल की थी। विवेचना के लिए विवेचक के सहयोग के लिए छह सह विवेचकों की टीम भी लगाई गई थी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान कोर्ट में अभियोजन की ओर से 37, बचाव पक्ष की ओर से पांच व कोर्ट साक्षी के रूप में तीन गवाह पेश किए गए थे। 27 जुलाई 2014 को ज्योति श्यामदासानी की अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद 21 अक्टूबर 2022 को अपर जिला जज प्रथम अजय कुमार त्रिपाठी ने धनतेरस के एक दिन पहले शहर के चर्चित ज्योति हत्याकांड का फैसला सुनाया था।
पीयूष ने ही दर्ज कराई थी एफआईआऱ अपनी पत्नी ज्योति की हत्या की साजिश रचने वाले पीयूष श्यामदासानी में ही इस हत्याकांड की एफआईआऱ दर्ज कराई थी। तब शायद उसे यह नहीं पता था कि अपने बुने जाल में वह खुद फंसने वाला है। 27 जुलाई 2014 को पीयूष ने कानपुर के स्वरूपनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई कि वह अपनी पत्नी के साथ रात करीब 11:30 बजे एक रेस्टोरेंट से खाना खाने के बाद घर जा रहा था तभी सात-आठ लोग बाइक पर आए और उसकी कार में टक्कर मारकर उसे रोक लिया। उन लोगों ने उसे कार से बाहर खींच कर पीटा और ज्योति का कार सहित अपहरण करके ले गए। पुलिस ने प्रारंभिक जांच में ज्योति के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर कुछ घंटे के भीतर ही उसे खोज लिया। ज्योति कार में मरणासन्न अवस्था में मिली। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।