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स्वच्छ शहर जोड़ी योजना में गोरखपुर बना मेंटर सिटी, अब छोटे नगर पंचायतों को देगा स्वच्छता की ट्रेनिंग – Gorakhpur News

गोरखपुर बना स्वच्छता का मेंटर सिटी, अब सिखाएगा छोटे नगर पंचायतों को सफाई के गुर

गोरखपुर नगर निगम को भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा “स्वच्छ शहर जोड़ी अभियान” के तहत मेंटोर सिटी के रूप में चुना गया है। इसका मतलब है कि अब गोरखपुर अपने अनुभव और संसाधनों के आधार पर आस-पास की नगर पंचायतों को स्वच्छता प्रबंधन में सहयोग देगा।

बैठक में हुआ समझौता

स्वच्छ शहर जोड़ी अभियान को लेकर नगर निगम सभागार में बैठक आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता अपर नगर आयुक्त एवं वरिष्ठ प्रभारी एसबीएम प्रमोद कुमार ने की। इस दौरान गोरखपुर नगर निगम और चयनित नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारियों के बीच आपसी सहयोग का समझौता पत्र भी साइन किया गया।

बैठक में मुख्य सफाई निरीक्षक दिनेश बिरौनिया, पीएमयू टीम, अधिशासी अधिकारी आशीष कुमार (नगर पंचायत मुंडेरा बाजार एवं कैम्पियरगंज), अधिशासी अधिकारी अंजनेया मिश्र (नगर पंचायत पिपिगंज) और जिला कार्यक्रम प्रबंधक पूजा राय मौजूद रहे।

किन क्षेत्रों में मिलेगा सहयोग?

गोरखपुर नगर निगम निम्न बिंदुओं पर नगर पंचायतों का मार्गदर्शन करेगा:

  • संयुक्त कार्ययोजना बनाना

  • प्रशासनिक और तकनीकी क्षमता विकसित करना

  • स्वच्छ सर्वेक्षण 2025-26 की तैयारी

  • जनजागरूकता अभियान चलाना

  • संसाधनों का साझा उपयोग

आगे की कार्ययोजना

नगर निगम ने भविष्य की योजनाएं भी तय की हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • नगर पंचायतों में स्वच्छता प्रेरकों की नियुक्ति

  • नियमित साप्ताहिक समीक्षा बैठकें

  • नागरिकों की भागीदारी बढ़ाना

  • डिजिटल मॉनिटरिंग और पारदर्शिता को बढ़ावा देना

अपर नगर आयुक्त दुर्गेश मिश्रा ने कहा, “गोरखपुर के मेंटोर सिटी बनने पर हमें गर्व है। अब हमारा दायित्व है कि हम छोटे नगर पंचायतों को हर स्तर पर सहयोग दें। खासतौर पर कचरे को स्रोत पर अलग करने, डोर-टू-डोर कलेक्शन और खुले में कचरा न डालने की आदत विकसित करने पर ध्यान देना होगा।”

क्या है स्वच्छ शहर जोड़ी अभियान?

इस अभियान के तहत एक अच्छा प्रदर्शन करने वाले शहर को एक कम प्रदर्शन करने वाले शहर के साथ जोड़ा जाता है। बेहतर शहर अपने अनुभव, तकनीक और रणनीतियों को दूसरे शहर के साथ साझा करता है, ताकि दोनों मिलकर स्वच्छता के स्तर को ऊंचा उठा सकें।

यानी यह पहल पूरी तरह “सहयोग आधारित मॉडल” पर चलती है।

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