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पंचमुखी हनुमान का स्वरूप दिन में तीन बार बदलता है: चांदी के वर्क से होगा श्रृंगार, श्रद्धालु 51 किलो मिल्क केक काटेंगे – कानपुर समाचार

देशभर में आज धूमधाम से हनुमान जयंती मनाई जाएगी, और लाखों श्रद्धालु प्रमुख हनुमान मंदिरों में दर्शन के लिए आएंगे। पनकी मंदिर, जीटी रोड स्थित दक्षिणेश्वर हनुमान मंदिर, ड्योढ़ी घाट हनुमान मंदिर, और शोभन स्थित पवनसुत के दरबार में श्रद्धालु भक्ति में लीन होंगे। यह मान्यता है कि भगवान हनुमान कलयुग के देवता हैं, और उनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति आती है।

पनकी मंदिर में भक्तों की उमड़ी भीड़

पनकी मंदिर, जो लगभग 1000 साल पुराना है, में भगवान हनुमान की 8 फीट की भव्य प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर में मान्यता है कि भगवान की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना स्वरूप बदलती है और वे आज भी 10 हाथों से भोग ग्रहण कर रहे हैं।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

पनकी हनुमान मंदिर की स्थापना श्री 1008 महंत गंगादास जी ने की थी। मंदिर की स्थापना की कहानी यह है कि महंत पुरुषोत्तम दास चित्रकूट से बिठूर राम जानकी मंदिर के लिए भगवान हनुमान की प्रतिमा लेकर जा रहे थे। पनकी में रात्रि विश्राम के बाद जब वे प्रतिमा के साथ बिठूर के लिए निकले, तो रथ का पहिया वहीं फंस गया, और तब भगवान की प्रतिमा वहीं स्थापित कर दी गई।

10 हाथों से भोग ग्रहण

इस मंदिर में भगवान की 10 हाथों वाली पंचमुखी प्रतिमा विराजमान है, जहां प्रत्येक हाथ में भोग के रूप में लड्डू होते हैं। महंत जितेंद्र दास ने बताया कि बिठूर में लव-कुश ने भगवान हनुमान को बंधक बना लिया था, और माता सीता ने उन्हें मुक्त कर भोग अर्पित किया, जिसके कारण भगवान हनुमान आज भी भोग ग्रहण कर रहे हैं।

मंदिर में माता सीता का वास

महंत कृष्णदास महाराज के अनुसार, पंचमुखी हनुमान मंदिर में माता सीता का भी वास है। भक्तों को यहां प्रातःकाल हनुमान जी के बाल्यकाल का रूप, दोपहर में हंसते हुए स्वरूप और शाम को वृद्धावस्था का रूप देखने को मिलता है। मंदिर में साल भर भक्तों की भारी भीड़ रहती है और मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मंदिर आता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है।

विशेष आयोजन और श्रृंगार

आज के विशेष अवसर पर मंदिर में 5:30 बजे मंगला आरती होगी, उसके बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे। मंदिर में भगवान का पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा और उनका श्रृंगार 1.25 किलो सिंदूर और 300 चांदी वर्क से किया जाएगा। इसके बाद भगवान को पारंपरिक वस्त्र पहनाए जाएंगे और 51 किलो बेसन के लड्डू का भोग अर्पित किया जाएगा। इसके साथ-साथ सुंदरकांड और भजन-कीर्तन का आयोजन भी होगा, और श्रद्धालु 51 किलो मिल्क केक काटेंगे।

इस दिन श्रद्धालु पवित्र स्थानों में आकर भगवान हनुमान की पूजा करते हैं, ताकि उनकी मनोकामनाएं पूरी हो सकें।

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