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शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा — 2026 को मनाया जाएगा ‘आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष’।

 

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी वैश्विक स्थिरता और वृद्धि के लिए एक शक्तिशाली आधार के रूप में उभर रही है. मोदी ने भारत-आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि यह समूह नयी दिल्ली की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक प्रमुख स्तंभ है.

उन्होंने कहा, ‘भारत ने हमेशा ‘आसियान केंद्रीयता’ और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर आसियान के नजरिये का पूरा समर्थन किया है.’ मलेशिया इस समय समूह के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में कुआलालंपुर में वार्षिक आसियान शिखर सम्मेलन और संबंधित बैठकों की मेजबानी कर रहा है. मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने अपने संबोधन में कहा कि आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) में कुछ वास्तविक प्रगति हुई है और समूह इसे इस साल तक पूरा करना चाहता है.

भारत-आसियान रणनीतिक साझेदारी में प्रगति

पीएम मोदी ने कहा, ‘अनिश्चितता के इस दौर में भी, भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी ने लगातार प्रगति की है. हमारी मजबूत साझेदारी वैश्विक स्थिरता और वृद्धि के लिए एक शक्तिशाली आधार के रूप में उभर रही है.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हर संकट में अपने आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है और समुद्री सुरक्षा व नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग तेजी से बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा कि इसके मद्देजनर हम 2026 को आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष घोषित कर रहे हैं. मोदी ने आगे कहा, ‘हम शिक्षा, पर्यटन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग को भी तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं. हम अपनी साझा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे.’

’21वीं सदी भारत और आसियान की सदी’

PM ने कहा, ‘भारत और आसियान मिलकर दुनिया की लगभग एक-चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. हम न केवल भौगोलिक रूप से समान हैं, बल्कि गहरे ऐतिहासिक संबंधों और साझा मूल्यों से भी बंधे हैं. हम वैश्विक दक्षिण में साथी हैं. हम न केवल वाणिज्यिक साझेदार हैं, बल्कि सांस्कृतिक साझेदार भी हैं. आसियान भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का आधार है.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष शिक्षा, पर्यटन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा, ’21वीं सदी हमारी सदी है, भारत और आसियान की सदी है. मुझे विश्वास है कि आसियान समुदाय का ‘विजन 2045’ और ‘विकसित भारत 2047′ का लक्ष्य पूरी मानवता के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगा. भारत इस दिशा में कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.’

2026 आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष घोषित

PM मोदी ने कहा कि आसियान शिखर सम्मेलन का विषय ‘समावेशन और स्थिरता’ संयुक्त प्रयासों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है, चाहे वह डिजिटल समावेशन हो या वर्तमान वैश्विक चुनौतियों के बीच खाद्य सुरक्षा और लचीली आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करना. भारत इन प्राथमिकताओं का पूर्ण समर्थन करता है और इन्हें मिलकर आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा, ‘भारत हर आपदा में अपने आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है. HADR (मानवीय सहायता और आपदा राहत), समुद्री सुरक्षा और नीली अर्थव्यवस्था में हमारा सहयोग तेजी से बढ़ रहा है. इसके मद्देनजर हम 2026 को ‘आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष’ घोषित कर रहे हैं.’

व्यापार और निवेश के साथ मजबूत हुए भारत-आसियान संबंध

आसियान को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है और भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद साझेदार हैं. आसियान-भारत संवाद संबंध 1992 में एक क्षेत्रीय साझेदारी की स्थापना के साथ शुरू हुए. यह दिसंबर 1995 में पूर्ण संवाद साझेदारी और 2002 में शिखर सम्मेलन स्तर की साझेदारी में परिवर्तित हो गया.

ये संबंध 2012 में रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक पहुंच गए. पिछले कुछ सालों में भारत और आसियान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य उद्देश्य व्यापार और निवेश के साथ ही सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है.

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