नाइट्रा (स्लोवाकिया): राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बृहस्पतिवार को यहां ‘कॉन्स्टेंटाइन द फिलॉसफर’ विश्वविद्यालय द्वारा ‘‘सार्वजनिक सेवा में उनके विशिष्ट योगदान’’ के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति स्लोवाकिया और पुर्तगाल की अपनी चार दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन सम्मान प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर पहुंचीं। विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति मुर्मू को सार्वजनिक सेवा और शासन में उनके विशिष्ट योगदान, सामाजिक न्याय एवं समावेश की वकालत के लिए सम्मानित किया जा रहा है।
बयान में कहा गया कि मुर्मू ने शिक्षा, महिलाओं के सशक्तीकरण और सांस्कृतिक एवं भाषाई विविधता के संरक्षण और संवर्धन में योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि वह भारत के 1.4 अरब लोगों की ओर से सम्मान स्वीकार कर रही हैं। मुर्मू ने कहा कि दार्शनिक सेंट कॉन्स्टेंटाइन सिरिल के नाम वाले संस्थान से मानद उपाधि प्राप्त करना विशेष रूप से मायने रखता है क्योंकि भाषा, शिक्षा और दर्शन में उनका विशिष्ट योगदान था। संथाली भाषा की सांस्कृतिक मान्यता सहित भारत की भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण के लिए काम करने वालीं मुर्मू ने कहा कि वह पहचान को आकार देने और ज्ञान को बढ़ावा देने में भाषा की शक्ति की सराहना करती हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा न केवल व्यक्तिगत सशक्तीकरण बल्कि राष्ट्रीय विकास का भी साधन है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने बच्चों के साथ रामायण पर आधारित कठपुतली कार्यक्रम देखा
स्लोवाकिया की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को स्लोवाकियाई बच्चों के साथ रामायण पर आधारित कठपुतली कार्यक्रम देखा। कार्यक्रम के शुरुआती दृश्य में राजा दशरथ अपने पुत्र राम से विश्वामित्र के साथ जाने को कहते हैं। रामायण पर केंद्रित, स्लोवाक भाषा में कठपुतली शो के शुरू होते ही बच्चे मंत्रमुग्ध होकर कार्यक्रम देखते रहे। कठपुतली की कला काफी प्राचीन है जिसके जरिए रामायण का मंचन किया गया। 45 मिनट के इस कार्यक्रम की परिकल्पना भगवान कृष्ण की भक्त और भारतीय संस्कृति की प्रशंसक लेंका मुकोवा ने की थी। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुर्मू के साथ 150 स्लोवाक छात्रों ने भाग लिया।