सुकरौली-कुशीनगर। जिले के विकासखण्ड सुकरौली में स्थित राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यालय का भवन जर्जर हो जाने से हमेशा खतरा बना रहता है। जर्जर हुए भवन में बने कार्यालय में हल्का भी बारिश आने पर छत से पानी टपकने लगता है और छत से प्लास्टर व ईंट टूटकर गिरता रहता है जिससे हमेशा समूह सखियों व उसमें बैठे अधिकारियों को हर पल डर बना रहता है कि कहीं छत से ईंट व प्लास्टर टूटकर सर पर न गिर जाए।
वर्तमान में यह योजना लगभग सभी राज्यों में क्रियान्वित है। लेकिन सभी राज्यों में इसे अलग नाम भी दिए गए है। शुरुआत की यदि बात करें तो 1999 में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा सर्वप्रथम स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (sgsy) नाम से एक योजना चलायी गयी थी। जिसका 2013 में पुनर्गठन कर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के रूप में लागू किया गया। 29 मार्च 2016 को एक बार पुनः इसका नाम बदलकर DAY-NRLM (दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) किया गया। यह प्रोग्राम सरकार द्वारा गरीबों (मुख्यतः महिलाएं) को मजबूत संस्थानों के निर्माण व फाइनेंस जैसी सेवाओं और लवलीहुड (आजीविका) सेवा से जोड़ने के लिए बनाया गया प्रमुख प्रोग्राम ( कार्यक्रम) है।एवं उक्त कार्यक्रम, सरकार का गरीब, विशेष रूप से महिलाओं हेतु मजबूत संस्थानों के निर्माण एवं वित्तीय सेवाओं और आजीविका सेवाओं से इन्हे जोड़ने का प्रमुख कार्यक्रम है ।उस समय इसका मुख्य उदेश्य ग्रामीण क्षेत्र में bpl परिवारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराकर उन्हें गरीबी रेखा से बाहर लाना था। इसके स्वरुप में समय समय पर बदलाव किये जाते रहे है। वर्तमान में इसका नया नाम दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) रखा गया है।
आपको बताते चलें कि सरकार की मंशा है कि समूह सखियों को स्वरोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए लेकिन विकासखंड सुकरौली में स्थित एनआरएलएम कार्यालय की स्थिति को देखकर ऐसा प्रतीक होता है कि जिम्मेदार कहीं ना कहीं लापरवाही कर रहे हैं क्योंकि यदि समूह सखियों के ऊपर जर्जर हुए भवन के छत से प्लास्टर या ईंट टूटकर गिर जाए तो फिर जिम्मेदार कौन होगा ?
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