अर्जेंटीना के दक्षिणी तट सान सेबस्टियन की खाड़ी के पास हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां 26 किलर व्हेल्स (Killer Whales) मृत पाई गई हैं. यह घटना न केवल वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बनी हुई है, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी एक बड़ी चेतावनी है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, इतिहास में यह तीसरी बार हुआ है, जब इतनी बड़ी संख्या में किलर व्हेल्स एक साथ मृत मिली हैं. पहले 1955 में न्यूज़ीलैंड के पैरापाराउमु बीच पर 17 व्हेल्स और 2022 में स्ट्रेट ऑफ मैजेलन में 9 व्हेल्स मृत मिली थीं. इस बार का मामला इसलिए भी खास है क्योंकि ये सभी प्रकार डी (Type D) की किलर व्हेल्स थीं, जो दुनिया में बेहद कम देखने को मिलती हैं.
वैज्ञानिकों को क्या मिला अब तक
Independent की रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआती जांच में पता चला है कि ये सभी व्हेल्स एक ही प्रजाति की थीं और इनके शरीर पर किसी बाहरी चोट या टकराव के निशान नहीं मिले. वैज्ञानिकों ने इनके जैविक नमूने (biological samples) लिए हैं ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं पानी में प्रदूषण, तापमान परिवर्तन या ध्वनि प्रदूषण तो इसका कारण नहीं. कई विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्र के तापमान और चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव के कारण व्हेल्स का दिशा ज्ञान (navigation sense) प्रभावित हो सकता है, जिससे वे तट पर फंस गईं.
Type डी किलर व्हेल्स की खासियत
Type डी की किलर व्हेल्स दुनिया की सबसे दुर्लभ समुद्री स्तनधारियों में गिनी जाती हैं. इनकी पहचान इनकी आंखों के पास के सफेद धब्बे, गोल सिर और पीठ पर छोटे डॉर्सल फिन से की जाती है. ये व्हेल्स आमतौर पर दक्षिणी महासागर के ठंडे इलाकों में रहती हैं और अपने झुंड के साथ शिकार करती हैं.
समुद्र की सबसे शक्तिशाली शिकारी
किलर व्हेल्स, जिन्हें ऑर्का (Orca) भी कहा जाता है, डॉल्फिन परिवार की सबसे बड़ी प्रजाति हैं. ये समुद्र के शीर्ष शिकारी (Top Predators) हैं और इनका भोजन मछलियों, सील, पेंगुइन और कभी-कभी शार्क तक होता है. इनका सामाजिक ढांचा बेहद मजबूत होता है. ये भेड़ियों के झुंड की तरह मिलकर शिकार करती हैं. एक समूह में 40 तक व्हेल्स होती हैं, जो सामूहिक रूप से अपने लक्ष्य को घेर लेती हैं.
समुद्री संतुलन के लिए खतरे की घंटी
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं केवल व्हेल्स की नहीं, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की असंतुलन का संकेत हैं. अगर तापमान, प्रदूषण या समुद्र की गहराई में ध्वनि का स्तर बढ़ता है तो यह इन जीवों के लिए घातक हो सकता है, इसलिए वैज्ञानिक इस घटना को लेकर बेहद गंभीर हैं और उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ऐसे हादसे बार-बार हुए, तो समुद्री जैव विविधता पर गहरा असर पड़ेगा.