शिकागो:अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादास्पद नीतियों के खिलाफ एक बार फिर व्यापक जनाक्रोश देखने को मिल रहा है। ट्रंप की इमिग्रेशन (आव्रजन) विरोधी कार्रवाइयों और स्वास्थ्य सेवाओं के बजट में भारी कटौती के विरोध में गुरुवार को देशभर में 1,600 से अधिक स्थानों पर प्रदर्शन की योजना बनाई गई है। ये प्रदर्शन सड़कों, अदालत परिसरों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर किए जाएंगे।
ट्रंप पर निरंकुशता का आरोप
प्रदर्शनों का आयोजन करने वाले सामाजिक और नागरिक अधिकार संगठनों ने इसे पूरी तरह शांतिपूर्ण बनाए रखने का आग्रह किया है। ‘पब्लिक सिटिजन’ नामक संगठन की सह-अध्यक्ष लीजा गिलबर्ट ने मंगलवार को एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हम अपने देश के इतिहास के सबसे भयावह और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। निरंकुशता की प्रवृत्तियां तेज़ी से बढ़ रही हैं और हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों व स्वतंत्रताओं को सीधे तौर पर निशाना बनाया जा रहा है।”
ट्रंप के फैसलों से अमेरिकी नाराज
ट्रंप के जनविरोधी फैसलों से अमेरिकी नाराज हो गए हैं। ट्रंप ने विदेश विभाग और न्याय विभाग समेत तमाम अन्य सरकारी विभागों में बड़ी छंटनी शुरू कर दी है। यह भी ट्रंप के लिए मुश्किलों का सबब बन सकता है। गिलबर्ट के अनुसार अमेरिका में हो रहे ये विरोध प्रदर्शन न केवल ट्रंप प्रशासन की नीतियों के खिलाफ हैं, बल्कि एक समावेशी और न्यायपूर्ण अमेरिका की पुनः कल्पना की मांग भी करते हैं। उनका कहना है कि नागरिकों के बुनियादी अधिकारों विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा और मानवाधिकारों– की रक्षा के लिए अब आवाज़ उठाना अनिवार्य हो गया है।
इन शहरों में प्रदर्शन
अटलांटा, सेंट लुईस, ओकलैंड (कैलिफोर्निया) और एनापोलिस (मैरीलैंड) जैसे अमेरिकी शहरों में बड़े स्तर पर रैलियों और मार्च की योजना है। आयोजक उम्मीद कर रहे हैं कि इन प्रदर्शनों से सरकार पर दबाव बनेगा और वह अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की नीतियां समाज के हाशिये पर मौजूद वर्गों को और अधिक नुकसान पहुंचा रही हैं। इसीलिए यह विरोध सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवीय मुद्दों से भी जुड़ा हुआ है।
ट्रंप को दी गई चेतावनी
विरोध प्रदर्शन कर रहे आयोजकों ने ट्रंप को बड़ी चेतावनी जारी की है और कहा है कि अगर सरकार ने इन चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन को और अधिक व्यापक रूप दिया जाएगा। इन प्रदर्शनों को अमेरिका में नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है।