रणवीर सिंह की नई फिल्म धुरंधर ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार शुरुआत की है, लेकिन कहानी के कुछ हिस्सों ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. फिल्म में पाकिस्तान और बलूचिस्तान से जुड़ी घटनाओं का चित्रण जिस तरीके से किया गया, उससे बलूच समुदाय बेहद आहत है. बलूच कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने इसे उनके समाज की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला बताया.
मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपत्ति जताते हुए लिखा कि फिल्म में बलूच लोगों को ऐसे पेश किया गया है जैसे वे भारत-विरोधी कार्रवाइयों में शामिल हों. उनका कहना है कि बलूचों ने कभी किसी आतंकी घटना, जैसे 26/11, का समर्थन नहीं किया. उलटा, वे खुद पाकिस्तान की ओर से प्रायोजित हिंसा और दमन का सामना करते हैं. उन्होंने कहा कि फिल्म में दिखाए गए कई दृश्य बलूच पहचान के बिल्कुल विपरीत हैं और वास्तविकता से उनका कोई संबंध नहीं है.
डायलॉग पर भड़के लोग
फिल्म का एक डायलॉग में कहा जाता है कि मगरमच्छ पर भरोसा कर सकते हैं, बलूच पर नहीं. यही सबसे ज्यादा विवाद का कारण बना. मीर यार के अनुसार, यह संवाद बलूच समाज की मर्यादा पर सीधा हमला है. उन्होंने बताया कि उनके यहां वफादारी को सर्वोच्च माना जाता है और विश्वासघात उनकी संस्कृति का हिस्सा ही नहीं है. उन्होंने कहा कि बलूच समाज को अविश्वसनीय दिखाना बहुत बड़ी नाइंसाफी है.
फिल्म में रिसर्च की कमी साफ दिखती है-बलूच कार्यकर्ता
मीर यार ने फिल्म निर्माताओं पर यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने बलूच इतिहास और राजनीतिक परिस्थितियों को समझने की कोशिश ही नहीं की. उनके अनुसार बलूच आंदोलन, समाज और संस्कृति को बहुत सतही ढंग से दिखाया गया है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर बलूच इतने संसाधन वाले अपराधी होते तो बलूच इलाके गरीबी और संघर्ष से घिरे क्यों रहते? असल तस्करी और अवैध कारोबार पाकिस्तान की ओर से चलता है न कि बलूचों की तरफ से.
सोशल मीडिया पर बहस तेज, फिल्म की सफलता जारी
धुरंधर दर्शकों के बीच लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है, लेकिन विवाद ने सोशल मीडिया पर नई चर्चा छेड़ दी है. कई लोग मानते हैं कि फिल्मों में संवेदनशील राजनीतिक विषयों को चित्रित करते समय तथ्यों की पड़ताल बेहद जरूरी होती है. बलूच समुदाय का कहना है कि गलत पेशकश न केवल उनकी छवि बिगाड़ती है, बल्कि उनकी वास्तविक आज़ादी की लड़ाई को भी कमजोर करती है.
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