*वीर बाल दिवस कार्यक्रम मनाया गया*
*सुपर फास्ट टाइम्स*
*शाबान सिद्दीकी, तहसील संवाददाता*
लखीमपुर खीरी।विद्या भारती विद्यालय पं0 दीनदयाल उपाध्याय सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कालेज (यू.पी.बोर्ड), लखीमपुर खीरी में आज वीर बाल दिवस कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह नें मां सरस्वती व गुरूगोविन्द सिंह जी के दोनों साहिबजादों (जोरावर सिंह जी, फतेह सिंह जी) के चित्रों पर दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन कर किया। विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य श्री राजेश कुमार बाजपेयी जी नें भैयाओं को जोरावर सिंह जी व फतेह सिंह जी के बारे में विस्तृत से बताया तथा भैयाओं को भी उन जैसा बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भैयाओं से कहा कि जिस प्रकार गुरूगोविन्द सिंह जी के दोनों साहिबजादों नें इस्लाम धर्म कबूल करने की जगह अपनी मौत को चुना उसी प्रकार का जज्बा धर्म और देश के प्रति हमारे अन्दर भी होना चाहिए। अन्त में विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह जी नें भैयाओं को बताया कि भारत में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान इस्लाम कबूल न करने वाले लोगों की हत्या कर दी जाती थी। इसी दौरान जब औरंगजेब का सामना गुरु गोबिंद सिंह जी के बेटों से हुआ तो उन्होंने इसका कड़ा विरोध करते हुए इस्लाम कबूल करने से इंकार कर दिया और अपने धर्म और देश के साथ खड़े रहें। औरंगजेब ने इसकी सजा में दोनों साहिबजादों को दीवार में चुनवाने का फैसला सुनाया। उस समय दोनों साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेहसिंह जी की उम्र मात्र 9 और 6 वर्ष थी। जिस समय दोनों साहिबजादों को दीवार में चुनवाया जा रहा था तब भी वे जपजीसाहिब का पाठ कर रहे थे। दोनों साहिबजादों का अंत में सिर धड़ से अलग कर दिया गया तलवार अपनी गर्दन तक आने के बाद भी उनमें लेश मात्र का डर नहीं था बल्कि अपने देश धर्म के लिए बलिदान होने पर गर्व था। ऐसे वीर पुत्रों को समस्त भारत प्रणाम करता है जिन्होंने अपने धर्म के लिए नन्हीं सी आयु में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। जिनके बलिदान की गाथा युगों-युगों तक गाई जायेगी। कार्यक्रम के बाद 10:30 बजे से विद्यालय के सभी भैयाओं को प्रोजक्टर के माध्यम से ‘वीर बाल दिवस‘ के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम का सजीव प्रसारण दिखाया गया। इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।