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चीन ने पाकिस्तान को झटका, 5वीं पीढ़ी के J-35 फाइटर जेट की डिलीवरी पर क्यों लगाया ब्रेक।

 

पाकिस्तान ने बीते कुछ सालों में अमेरिका के बजाय चीन से हथियार खरीद के लिए रुख किया है. पाकिस्तानी फौज लगातार चीन से हथियार खरीद रही है, जिनमें फाइटर जेट भी शामिल हैं. ऑपरेशन सिंदूर में भारत से मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान चीन से 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट J-35 फाइटर जेट खरीदना चाहता है. पाक सेना की ओर से कई बार कहा गया है कि उसे जल्दी ही J-35 फाइटर जेट मिल जाएंगे, लेकिन उसे अपने करीबी दोस्त चीन से झटका लगा है क्योंकि साल-दो साल नहीं बल्कि पाकिस्तान को अगले 10 सालों तक J-35 मिलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है.

संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस दशक में पाकिस्तान की एयरफोर्स चीन के 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट J-35 का संचालन करेगी, इसकी संभावना ना के बराबर है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2030 के दशक की शुरुआत में भी पाकिस्तान के आसमान में J-35 दिखाई देंगे, ये भी मुश्किल ही है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि चीन अपने 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट को पाकिस्तान को बेचने के लिए फिलहाल तैयार नहीं दिख रहा है.

पाकिस्तान को कब तक मिलेंगे J-35? 

पाकिस्तान आर्मी के अधिकारी साल 2024 की शुरुआत से ही J-35 फाइटर जेट के बारे में अटकलें लगा रहे हैं. हालांकि ये फाइटर जेट अभी भी चीन में केवल प्रोटोटाइप, उड़ान प्रशिक्षण के रूप में ही मौजूद हैं. ऐसी उम्मीद है कि इस दशक के आखिर से पहले चीन की पीएलए J-35 का इस्तेमाल करेगी और उसके बाद इसे निर्यात किया जाएगा. इससे यही संकेत मिलता है कि ये फाइटर जेट हाल-फिलहाल पाकिस्तान को नहीं मिलने वाले हैं.

PAK में शुरू हो गई थी J-35 डील की चर्चा!

पाकिस्तान में इस विमान की खरीद पर चर्चा जनवरी 2024 में शुरू हुई थी. पाकिस्तान के एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर ने ऐलान किया था कि J-35 (FC-31) की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने संकेत दिया था कि कुछ ही महीनों में इसकी आपूर्ति शुरू हो जाएगी. पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों में बताया गया था कि चीन से 40 जेट खरीदे जाएंगे. मीडिया में इसकी खूब चर्चा हुई, लेकिन आज तक किसी आधिकारिक समझौते की घोषणा नहीं हुई है.

J-35 की डिफेंस डील क्यों है अलग?

द संडे गार्जियन से बात करते हुए डिफेंस एक्सपर्ट्स ने कहा कि  J-35 की डील, चीन-पाकिस्तान के अन्य रक्षा सौदों जैसा नहीं है. इसका फायदा विमान को ही है. J-35 एक चीनी 5वीं पीढ़ी का स्टेल्थ विमान है जो एवियोनिक्स और तकनीकी क्षमताओं से लैस है, लेकिन यह विमान अभी परिचालन में नहीं आया है और इसके इंजन कार्यक्रम पर अभी काम चल रहा है.
चीन का इतिहास रहा है कि वह हथियार तभी निर्यात करता है, जब वे पीएलए में सेवा दे चुके हों. इसका मतलब है कि अगर चीन J-35 के निर्यात पर विचार करता है तो भले ही आज समझौते की घोषणा हो, लेकिन इसमें कई साल लगेंगे. इसी बात को ध्यान में रखते हुए चीन ने J-35 के निर्यात के लिए पाकिस्तान के साथ कोई औपचारिक समझौता नहीं किया है क्योंकि वो पहले फाइटर जेट का संचालन खुद करता है, उसके बाद इसका प्रदर्शन चेक करेगा और फिर इसे निर्यात करेगा.

चीन ने PAK को J-35 देने से क्यों किया परहेज?

चीन के लिए J-35 न केवल एक फाइटर जेट है, बल्कि एक संपूर्ण तकनीकी पैकेज भी है. पाकिस्तान चीन का सुरक्षा साझेदार और सहयोगी तो है ही. साथ ही अमेरिका के साथ भी उसकी महत्वपूर्ण साझेदारी है, वह अमेरिकी F-16 जेट विमानों का संचालन करता है और अमेरिका के साथ उसकी खुफिया जानकारियों का आदान-प्रदान भी होता रहा है, जिस पर बीजिंग की नजर जरूर जाती है. चीन द्वारा बरती गई सावधानी इस बात का संकेत है कि अगले 10 सालों में पाकिस्तान J-35 का संचालन नहीं करेगा. इसके अलावा, चीन ये भी समझता है कि अगर उसने पाकिस्तान को 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट दिए तो भारत के साथ उसके रिश्ते और खराब हो सकते हैं, जिसके बाद पश्चिमी देशों से भारत को रक्षा सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है. इन सभी कारणों की वजह से चीन ने इस समय पाकिस्तान को J-35 फाइटर जेट देने से परहेज किया होगा.

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