आगरा में बारिश और गोकुल बैराज से पानी छोड़े जाने के चलते यमुना नदी उफान पर है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यमुना का यही जलस्तर ताजमहल की नींव को मजबूती प्रदान कर रहा है, क्योंकि इसकी नींव सागौन की लकड़ी से बनी है, जो पानी में रहने पर और मजबूत होती है। हालांकि हाल ही में वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (WRI) ने ताजमहल के आसपास घटते जलस्तर को लेकर चिंता जताई थी।
ताजमहल की नींव को पानी की जरूरत
इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि ताजमहल की नींव 52 कुओं पर आधारित है। इसमें सागौन की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। कुंओं पर लकड़ी का बेस है। जिस पर 22 कमरे बनाए गए हैं। पानी से लकड़ी को मजबूती मिलती है। इससे न तो ये लकड़ियां सिकुड़ती हैं और न ही फूलती हैं।
आगरा में यमुना का जलस्तर जिताना बढ़ रहा है। उससे ताजमहल की नींव के कुओं की लकड़ी को उतनी ज्यादा नमी मिल रही है। इस नींव के मजबूत होने से ताजमहल की उम्र बढ़ रही है। अगर लकड़ी सूखी तो चटक जाएगी, जिससे ताजमहल को बहुत नुकसान हो सकता है।
1950 तक यमुना चबूतरे तक बहती थी इतिहासकार राजकिशोर राजे का कहना है कि ताजमहल के पीछे, जहां यमुना बिल्कुल छूते हुए निकलती थी। अब सुरक्षा की दृष्टि से वहां मिट्टी के टीले बना दिए गए हैं, जिससे यमुना ताजमहल को छूकर नहीं बहती, बल्कि दूर ही रहती है। जबकि 1950 तक यमुना चबूतरे तक बहती थी।
गर्मियों में यमुना में पानी कम हो जाता है बीते कुछ समय से गर्मी के मौसम में यमुना का पानी ताजमहल से 100 मीटर दूर चला जाता है। इससे ताज की बुनियाद को नमी कम मिलती है। हालांकि एएसआई के अधिकारियों का कहना है कि ताजमहल के गार्डन में पानी का इस्तेमाल किया जाता है, वो भी लकड़ियों की नींव को नमी देता है। साथ ही ताजमहल के पीछे बह रही यमुना की नमी नींव तक पहुंचती है। ताजमहल परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से बारिश का पानी संचित किया जाता है, वो भी खूब लकड़ियों तक नमी पहुंचाने का काम करता है।
WRI ने अपनी रिपोर्ट में जताई है चिंता जुलाई के पहले हफ्ते में यूनेस्को और वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) ने एक संयुक्त रिपोर्ट पेश की है। जो ताजमहल सहित विश्व भर के यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स पर पानी से संबंधित खतरों का स्टडी करती है। ये रिपोर्ट विशेष रूप से ताजमहल की बुनियाद को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर फोकस करती है।
रिपोर्ट के अनुसार यमुना नदी के जलस्तर में कमी और भूजल की कमी ताजमहल की बुनियाद को नुकसान पहुंचा रही है, जिससे इसकी संरचनात्मक स्थिरता खतरे में पड़ सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ताजमहल को गंभीर पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो प्रदूषण बढ़ा रही है और भूजल स्तर को कम कर रही है, जिससे मकबरे को नुकसान पहुंच रहा है।
2019 में यमुना की सफाई के लिए डाली गई थी याचिका
वरिष्ठ अधिवक्ता और आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन से जुड़े केसी जैन ने बताया कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट में यमुना की सफाई के लिए याचिका डाली गई थी। 2024 में इस पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा कि यमुना की सफाई क्यों नहीं हो रही है। इस पर राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा है कि यमुना की सफाई की जाती है तो ताजमहल और इस पर बने पुलों को खतरा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने IIT रुड़की से सभी तथ्यों की जांच कराने को कहा। आईआईटी रुड़की ने भी राज्य सरकार की बात की ही पुष्टि की।