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25 सालों से पीडीए की आवासीय योजना पेंडिंग: भूमि की कमी बनी बड़ी रुकावट, अधिकारी बयान देने से बच रहे हैं।

पिछले 25 वर्षों से प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) कोई प्रभावी आवासीय योजना शुरू नहीं कर सका है। इसकी वजह से शहर के लोगों को महंगे निजी बिल्डरों के फ्लैट खरीदने पड़ रहे हैं, जिनकी कीमत करोड़ों में होती है। परिणामस्वरूप, मध्यम वर्ग के लिए अपने घर का सपना पूरा करना बेहद मुश्किल हो गया है।

सन 2000 में आखिरी आवासीय योजना बनी थी शांतिपुरम प्रयागराज विकास प्राधिकरण पूर्व में इलाहाबाद विकास प्राधिकरण की तरफ से सन 2000 में अंतिम आवासीय योजना की शुरूआत की गई थी। जिसका नाम शांतिपुरम आवास योजना रखा गया था। इसको प्राधिकरण की तरफ से फाफामऊ इलाके में शुरू किया गया था। उसके बाद से कोई भी अच्छी आवासीय योजना पीडीए की तरफ से शुरू नहीं की जा सकी। हालांकि पीडीए की तरफ से 2009-10 में शहर के नैनी इलाके में नवप्रयागम आवास योजना प्रस्तावित की गई,लेकिन बाढ़ ग्रस्त एरिया में उसके आने के कारण योजना को बाद में निरस्त कर दिया गया। इस योजना के लिए पीडीए ने आवेदन निकाला था। जिसमे करीब 400 से अधिक लोगों ने आवेदन कर दिया था। योजना के निरस्त होने के बाद पीडीए को आवेदनकर्ताओं का पैसा वापस करना पड़ा था।

2012 में सिविल लाइंस में बनी थी बहुमंजिला इमारत की योजना प्रयागराज विकास प्राधिकरण की तरफ से 2012 में सिविल लाइंस के ताशकंद मार्ग पर जेके पैलेस के सामने बहुमंजिला इमारत की योजना तैयार की गई। इसका प्रचार प्रसार भी बड़े स्तर पर किया गया। लेकिन बाद में यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद 2016 में पीडीए ने नुरुल्लारोड पर नाले के पास स्थित कब्रिस्तान के बगल में एक बड़ी जमीन पर आवास योजना का प्लान बनाया। उस दौरान काफी तेजी से प्रयास शुरू किए गए, लेकिन तत्कालीन पीडीए उपाध्यक्ष के जाते ही योजना ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद से आज तक किसी भी आवासीय योजना का प्लान नहीं बन सका। इसके पीछे बड़ा कारण पीडीए का खाली लैंड बैंक है। वर्ष 2013 से 2018 के बीच पीडीए ने अपनी खाली पड़ी जमीनों पर बहुमंजिला आवास योजना की प्लानिंग बनाई, लेकिन नई टाउनशिप के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं कर सकी। यही कारण है कि शहर में एक बड़ी आबादी आज भी अपने लिए आशियाना खोजने के लिए परेशान है।

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