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देश में दवा की गुणवत्ता के मामलें में दो तीहाई कंपनी जांच में फसी-डॉ. मनसुख मांडविया

एमएसएमई फार्मा क्षेत्र में स्व-नियमन की आवश्यकता-कंेद्रीय रसायन मंत्री

एमएसएमई फार्मा कंपनियों के लिए दवाओं की गुणवत्ता के प्रति सजग रहना और स्व-विनियमन के जरिए अवलिम्ब अच्छी विनिर्माण प्रक्रियाओं का रुख करना महत्वपूर्ण है

अनुसूची एम को जल्द ही एमएसएमई फार्मा कंपनियों के लिए अनिवार्य बनाया जाएगा

भारत में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा

नकली दवा बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी

चंदन पाण्डेय
फार्मा उत्पादों की उत्कृष्ट गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियामक अधिकारियों ने संयंत्रों का जोखिम-आधारित निरीक्षण और ऑडिट करना प्रारंभ किया है। जिसमें 137 कंपनियों का निरीक्षण किया गया है और 105 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 31 कंपनियों में उत्पादन बंद कर दिया गया है और 50 कंपनियों के खिलाफ उत्पाद/सेक्शन लाइसेंस रद्द और निलंबन जारी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त 73 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं तथा 21 कंपनियों के विरूद्ध चेतावनी पत्र जारी किये गये हैं। यें बात एमएसएमई क्षेत्र की फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने नई दिल्ली में कही।

 

डा मनसुख ने कहा कि एमएसएमई फार्मा कंपनियों के लिए दवाओं की गुणवत्ता के प्रति सजग रहना और स्व-विनियमन के जरिए अवलिम्ब अच्छी विनिर्माण प्रक्रियाओं का रुख करना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा,“फार्मास्युटिकल क्षेत्र में हमारी वैश्विक स्थिति हमारे उत्पादों की गुणवत्ता के माध्यम से कायम होती है। मूल्य और गुणवत्ता की दृष्टि से इस स्थिति को मजबूत बनाए रखना सुनिश्चित करने के लिए हमें हरसंभव कदम उठाना चाहिए। अत स्व-नियमन की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

उन्होंने कहा कि एमएसएमई फार्मा सेक्टर के लिए अनुसूची एम को चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा, इससे गुणवत्ता के आश्वासन में मदद मिलेगी और अनुपालन बोझ भी कम होगा।

डॉ. मनसुख मांडविया ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को नकली दवा बनाने वाली सभी दवा निर्माता कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार गुणवत्ता का अनुपालन न करने और नकली दवाएं बनाने वाले निर्माताओं को कतई बर्दाश्त नहीं करती। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि दवा बनाने वाली कंपनियों का निरीक्षण करने के लिए विशेष दस्ते बनाए गए हैं और कड़ी कार्रवाइयां की गई हैं।

बैठक में एस. अपर्णा, सचिव (फार्मा), डॉ. राजीव रघुवंशी, डीसीजीआई और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर आईडीएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विरंची शाह और अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।

 

 

 

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